Tuesday, 22 May 2018

#International Day for #Biological #Diversity

#International Day for #Biological #Diversity 
#Biodiversity is the foundation for life and for the essential services provided people livelihoods by #ecosystems. It therefore underpins people livelihoods and sustainable development in all areas of activity including economic sectors such as #tourism among others.
It is the source of life of the essential goods and ecological services that constitute the source of life for all. The celebration each year ofInternational day for Biological Diversity is an occasion to reflect on our #responsibility to safeguard this precious #heritage for our future generations.
As responsible citizens, let us get together and/ decide to own this responsibility of growing trees, protecting the environments and protecting species of animals and birds from becoming extinct.
#Climatic changes are the largest threat to biodiversity, investing in clean energy and supporting sustainable industries will help stop degrading of biodiversity.
To keep ourselves linked, we cannot allow species to go extinct.
#Preserve Biodiversity by allowing every creation of #God to play its part in the ecosystem.

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Saturday, 14 April 2018

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को त्रिवार वंदन |

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को त्रिवार वंदन |
आंबेडकर की विचार धाराओं को समर्पित सूर्योदय परिवार से सेवा पुष्प ||
मूल भावना – भारत जैस संवैधानिक देश में प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक है, कि वह भारत के संविधान के बारे में उचित जानकारी रखता हो | संविधान के प्रति के जागरूकता और संविधान निहित संहिताओं और नियमों का ज्ञान हर भारतीय के संज्ञान में होना चाहिए | यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि देश के एक ज़िम्मेदार नागरिक के तौर पर संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिक अधिकार एवं नियत नागरिक कर्तव्य को जानना बेहद जरुरी है | साथ ही संविधान द्वारा बनाये गए नियम व विधि (कानून) भी प्रत्येक व्यक्ति के संज्ञान में होना चाहिए | यह हमारे सामाजिक जीवन को बेहतर व व्यवस्थित बनाने का सवश्रेष्ठ मार्ग है ।
संकल्प – “सूर्योदय संविधान जागरण अभियान” के माध्यम से सभी अध्ययनरत विद्यार्थियों को संविधान का सही ज्ञान व उचित जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए संकल्पित है ।
हमारे प्रयास – “सूर्योदय परिवार बर्ष २००१ से ही “संविधान जागरण अभियान” का सतत संचालन कर रहा है | सर्वप्रथम २००१ में हमने संविधान को मुख्य रूप से एक छोटी पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया , गौरतलब है कि इसका औपचारिक उद्घाटन मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. भाई महावीर द्वारा किया गया था ।
इसी क्रम में “सूर्योदय परिवार” द्वारा बर्ष २००६ में “भारतीय संविधान जन-जागृति मशाल यात्रा” नाम से रथ यात्रा का आयोजन किया गया, जो बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जन्मस्थली महू (म.प्र.) से शुरू होकर मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के ७५ शहरों में विभिन्न शिविरों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जो कि कुल १८ दिवसीय विशाल कार्यक्रमों के रूप में नागपुर में संपन्न हुआ | लेकिन यह उस अभियान की समाप्ति न होकर वास्तविक शुरुआत थी, जिसके बाद अनवरत हर वर्ष इस अभियान के तहत लाखों विद्यार्थीगण लाभ पा चुके है | यह अपने आप में एक क्रांति का प्रारंभ था
चुनौतियाँ – जब कोई भी व्यक्ति या समाज किसी सकारात्मक कार्य की शुरुआत करता है तो स्वाभाविक रूप से उसके समक्ष कई चुनौतियाँ आती है | इस अभियान में हमें हर वर्ग का सहयोग प्राप्त हुआ | फिर भी हम इस अभियान को चुनौती के तौर पर प्राप्त करते हैं, और वह है “दायित्व बोध” | हम जिस भी स्थान पर संविधान के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए कोई कार्यक्रम शिविर या यात्रा करते है, तो उसकी असल सफलता हमारे प्रयासों के बाद हर प्रतिभागी अथवा लाभार्धी के स्वयं के दायित्व बोध द्वारा सुनिश्चित होती है | हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है, कि वह संविधान के प्रति जागरूक रहे एवं अपनी जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुचाये | सामूहिक प्रयास ही किसी अभियान व योजना को अपनी नियति तक पहुंचाते है |
परिणाम एवं सार्थकता – यह दूरदर्शिता एवं परिपक्व सोच का ही फल है कि एक सबसे मौलिक और आवश्यक अभियान जिसकी शुरुआत कई वर्ष पहले ही की जा चुकी थी | आज अपनी उपलब्धि के साथ अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में है, जहाँ यह बात सरकारी संस्थाओं द्वारा अब संज्ञान में लाई जा रही है | “सूर्योदय परिवार” अपने ठोस आकड़ों एवं परिणामों के साथ उपस्थित है | यह हमारे लिए सुखद स्थिति है, जो हमें आगे और अधिक ऊर्जा के साथ कार्य करने में सहायता प्रदान करेगी ।
उपलब्धियाँ – वर्ष २००१ से प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक माह तक निरंतर विभिन्न स्थानों पर संविधान परीक्षा का आयोजन किया जाता है एवं प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये जाते है ।
अभियान से जुड़े –“सूर्योदय परिवार” द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान से हर वर्ग एवं आयु के लोग जुड़ सकते है | यदि आप इस अभियान से जुड़ना चाहते है तो आप नीचे दिए गए नंबर पर सम्पर्क कर सकते हैं:
सम्पर्क सूत्र - 7722992266

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Wednesday, 21 June 2017

योग मन को शांति एवं शरीर को फुर्ती प्रदान करने वाली क्रिया है

योग मन को शांति एवं शरीर को फुर्ती प्रदान करने वाली क्रिया हैं, जिससे शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखा जा सकता हैं | आज वर्ष के सबसे बड़े दिन को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता हैं | हमें भारतीयता पर गर्व होना चाहिए, क्योंकि योग मूलतः भारत की ही देन हैं | भारत में ही अध्यात्म की राह पर चलकर योग द्वारा शारीरिक और मानसिक विकारों से मुक्ति प्राप्त करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान किया गया तथा हमारे भारत के ही माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा योग दिवस की पहल की गई जिसे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा और आज पूरा विश्व तीसरा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है |
योग का अर्थ होता है, जोड़ना एवं समाधी, जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते हैं, तब तक समाधी तक नही पंहुचा जा सकता है और समाधी तक पहुँचने पर ही परमात्मा से मिलन संभव हैं |
प्राचीन काल में गुरुओं द्वारा योग की कई पद्धातियाँ स्वयं के अनुभवों से शुरू की गई , जिनका उपयोग आज भी मन के विकारों एवं शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किया जा रहा हैं।
नागपंथ वैष्णव , शैवपंथ और शाक्त ने अपने - अपने तरीके से योग का महत्व बताया एवं इसका विस्तार दिया
यस्माद्द्ते न सिध्यति यज्ञों विपश्चितश्चन | सा धीनां योग मिन्वति ||

अर्थात योग के बिना विद्वान् का भी कोई यज्ञकर्म सिद्ध नहीं होता | वह योग क्या हैं। .. ? योग चित्तवृतियों का निरोध हैं, वह कर्तव्य कर्ममात्र में व्याप्त हैं।
योग भारतभूमि की 5000 वर्ष पुरानी धरोहर हैं। भगवान शंकर से योग के बाद, ऋषि मुनियों से लेकर गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी सभी द्वारा अध्यात्म के मार्ग पर चलकर योग अपनाया गया

आज के व्यवस्थता भरे समय में जब व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक विकारों से जूझ रहा हैं , तो उसे योग के सही एवं नियमित अभ्यास से दूर किया जा सकता हैं। योग मानव को निरोग्य जीवन एवं मानसिक शांति के लिए अपनाना चाहिए ....
आज योग का महत्व बढ़ गया है, इसके बढ़ने का कारण व्यवस्थता और मन की व्यग्रता है, मनुष्य को योग की ज्यादा आवश्यकता है, जब मन और शरीर अत्यधिक तनावपूर्ण, वायु प्रदुषण तथा दौडभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चूका हैं, जिससे मानव का मन एवं मस्तिष्क संतुलित नही हो पा रहा हैं। योग, मानव को निरोग्य जीवन एवं मानसिक शांति के लिए अपनाना चाहिए...

मनुष्य अपने जीवन में आगे स्वस्थ होकर योग के माध्यम से ही बढ़ सकता हैं। इसीलिए योग के महत्त्व को समझना होगा।
मनुष्य किसी की ओर केवल तभी आकर्षित होता हैं जब उसे उससे लाभ मिले , जिस तरह से हम योग की ओर आकर्षित हो रहे उससे यह स्पष्ट हैं की योग के कई फायदे हैं।
योग सभी के लिए आवश्यक है चाहे स्त्री हो पुरुष , बच्चे हो या बूढ़े। योग से मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह एवं आध्यात्मिक बल प्राप्त होता हैं , और सफलता के लिए सकारात्मक विचारों का होना आवश्यक हैं जिससे मन में शांति, चिंता से दूरी, प्रसन्नता तथा उत्साह का प्रवाह होता है।
तनाव ही कई बीमारियों की जड़ है , तनाव से मुक्ति के लिए भी योग कारगर साबित हो रहा हैं। आध्यात्मिक एवं बौद्धिक क्षमता में विकास, मानसिक क्षमताओं का विकास, शरीर को सेहतमंद बनाना, थकान मिटाना , तथा प्रत्येक प्रकार के शारीरिक कष्टों से निदान , यह सिर्फ योग द्वारा ही संभव हैं। विज्ञान द्वारा भी योग को चिकित्सीय पद्धति के रूप में अपनाया गया हैं।
मेरा आप सभी से अनुरोध हैं, कि इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर स्वस्थ जीवन शैली और बेहतर जीवन जीने के लिए योग अपनाएँ।
हमें बच्चो को भी योग के महत्व एवं उनसे जुड़े लाभ बताकर नियमित अभ्यास करवाना चाहिए , क्योंकि योग शरीर एवं मस्तिष्क को एक साथ संतुलित करके प्रकृति से जुड़ने का स्वस्थ, लाभदायक एवं सुरक्षित माध्यम हैं। यह हमारे पूर्वजों से प्राप्त अमूल्य उपहार हैं।
योग के कई आसन होते हैं , जिनका सुरक्षित एवं निरंतर अभ्यास लाभप्रद हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर बिमारियों से राहत प्रदान करता हैं।
योग के कई लाभ हैं जिनकी गणना नहीं की जा सकती हैं , यह शरीर को तंदरुस्ती, तनाव से मुक्ति , नकारात्मक विचारों से मुक्ति, मानसिक शुद्धता एवं शांति के साथ साथ समझ विकसित कर प्रकृति से जोड़ता हैं।
"स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है"
आइए इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रण ले - योग अपनाएं , निरोग्य और खुशहाल राष्ट्र बनायें।

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Saturday, 17 June 2017

आज साबरमती आश्रम के स्थापना के 100 वर्ष पुरे होने पर आश्रम से प्राप्त मानवता, सामाजिकता, और देश निर्माण पर चर्चा करते है –

जब हम जीवन में तेजी से आगे बढ़तें हैं तो हमारे अनुभवों में भी वृद्धि होती है, यह वृद्धि या तो सुख की होती है या दुःख की, जब हम आगे बढ़तें हैं तो हमारे मस्तिष्क में स्वयं और समाज के लिए विचार भी विकसित होते है, ठीक अनुभव की तरह या तो सुविचार या फिर कुविचार, इन्हीं विचारों का विकास यदि सही तरीके से किया जाए तो एक सभ्य समाज का निर्माण होता है और सभ्य समाज ही राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है |
प्राचीन काल में विचारों की शुद्धता के लिए बचपन से ही बच्चों को आश्रम पहुँचाया जाता था ताकि बच्चो में मौलिक शिक्षा, शास्त्रों एवं अस्त्रों की शिक्षा के साथ साथ आत्मनिर्भर बनाना एवं प्रत्येक परिस्थिति में सकारात्मक विचार धारण करना एवं स्वयं सारे कार्यों को करना सिखाया जाता था, ताकि बच्चे आश्रम अवधि समाप्त होने के पश्चात सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज निर्माण में योगदान दे सके | 
राष्ट्र हित, मानव हित, शिक्षा, चिकित्सा, आत्मीयता तथा भक्ति के उद्देश्य से आश्रम की स्थापना की जाती थी और अब फिर से आश्रम व्यवस्था को मुख्य धारा में लाने की कोशिश हो रही है जो प्रशंसनीय हैं |
आश्रम भारतवर्ष का आधार रहा है , आश्रमों में सदाचार, शिष्टाचार तथा जीवन जीने की सकारात्मक सोच विकसित की जाती है| 
प्रभु श्रीरामचन्द्र जी ने आश्रम में ही गुरु विशिष्ट से धर्म के मार्ग पर मर्यादाओं के साथ चलने की शिक्षा ली , एवं मर्यादापुरुषोत्तम कहलाएँ , लेकिन जब प्रभु रामचंद्र जी 14 वर्ष के वनवास पर गये तब आश्रम की गरिमा एवं नियम को तोड़कर रावण ने सीता का अपहरण किया जो राक्षसों के वंश के विनाश का कारण बना |
आश्रम के अपने नियम एवं अपनी गरिमा होती है, जो चरित्र का निर्माण करती है, तथा आश्रम की गरिमा एवं नियमों को तोड़कर किया गया कार्य विनाश लेकर आता है |
आश्रमों में किये गए कार्यो से ही समाजिक परिवर्तन लाया जाता है , जैसे सबरी के आश्रम में ही श्रीराम जी के पधारने पर कवी कहतें है ..
जाती-पांति कुल धर्म बड़ाई | धन बल परिजन गुण चतुराई ||
भगती हीन नर सोहई कैसा | बिनु जल बारिद देंखीअ जैसा ||
मतलब जाति-पांति, कुल बड़ाई, धर्म, दहन, बल, कुटुंब, गुण और चतुरता इन सबके होने पर भी इंसान भक्ति न करे तो वह ऐसा लगता है, जैसे जलहीन बादल दिखाई देते है |
आश्रमों का हमारे लिए बहुत महत्त्व है , ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में ही रामायण लिखी गई जो हमें जीवन की परिस्थितियों से अवगत कराती है और विचारों में सकारात्मकता लाती है | वेद व्यास के आश्रम से ही भरत वंश का नाम बढ़ा |
आश्रमों में ही भारतवर्ष का इतिहास निहित है , जहाँ कई रचनाएँ, ग्रन्थ, वेद, तथा काव्यों का निर्माण किया गया है , मानवता का विकास किया गया तथा राष्ट्र के प्रति सहयोग एवं जागरूकता फैलाई गयी है | 
ऐसा ही एक है, साबरमती आश्रम, जिसकी स्थापना आज ही के दिन 100 साल पहले महात्मा गांधी द्वारा विभिन्न धर्मो में एकता स्थापित करने, चरखा, कड़ी एवं ग्रामोधोग द्वारा जनता की आर्थिक स्थिति सुधारने और अहिंसात्मक सहयोग तथा सत्याग्रह के द्वारा जनता के मन में स्वतंत्रता की भावना जाग्रत करने के लिए की गई | साबरमती आश्रम राष्ट्रीय धरोहर हैं, जहाँ जन कल्याण एवं स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कई कार्य किये गए | 
आश्रमों का अस्तित्व वहां किये गए या प्रचलित कार्यो से होता है | ऐसे ही सूर्योदय आश्रम द्वारा अध्यात्म की शिक्षा, मानवता की शिक्षा ( प्रत्येक जीवों से लगाव ), कृषि सम्बंधित शिक्षा, पर्यावरण सम्बंधित शिक्षा तथा राष्ट्र चेतना के प्रति शिक्षित किया जा रहा है | 
हमें आपसे अनुरोध है की आइये एक बार हमारे कार्यों को देखकर हमें प्रोत्साहित करे और हमारा साथ दे |
विकास और भारत माता की ओर हमारा दायित्व और उस पर अमल करते हुए आगे बढ़कर देश को खुशहाल बनाने का लक्ष्य पूरा करने में आप सभी का सहयोग चाहता हूँ ....

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Wednesday, 31 May 2017

आज “विश्व तम्बाकू निषेध दिवस” है, सूर्योदय परिवार की ओर से यह अनुरोध है की धूम्रपान त्यागने का संकल्प ले..

आज “विश्व तम्बाकू निषेध दिवस” है, सूर्योदय परिवार की ओर से यह अनुरोध है की धूम्रपान त्यागने का संकल्प ले..

पूरे विश्व के लोगों को तम्बाकू जैसे जानलेवा पदार्थो से दूर रखने के उद्देश्य से पूरे  विश्व में 31 मई “विश्व तम्बाकू निषेध दिवस” के रूप में मनाया जाता है..
तम्बाकू एक ऐसा धीमा जहर है जो सेवन करने के बाद व्यक्ति को धीरे-धीरे मौत के मुंह में लेकर जाता है, लोग जाने अनजाने में, दिखावे में, शौक में सेवन प्रारंभ कर देते है पर बाद में यही शौक मजबूरी में बदल जाते है और व्यक्ति इनके आदि हो जाते है ...
जिन घरों में धूम्रपान होता है, उस घर के बच्चे न चाहते हुए भी धूम्रपान का शिकार हो जाते है .... आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की एक व्यस्क 1 मिनट में 16 बार सांस लेते है ,पर वहीँ बच्चो में यह गति अधिक होती है , बच्चे 1 मिनट में 20या कभी इससे भी अधिक बार सांस लेते है , इससे यह साफ़ है की जिन घरों में धूम्रपान का धूआँ उठता है ,वहां के बच्चो का शरीरिक एवं मानसिक विकास ज़हरीले धुंए का शिकार हो जाता है .
धूम्रपान के कई प्रकार है – बीडी, सिगरेट , तम्बाकू आदि ... भारत में तम्बाकू का ज्यादा उपयोग गरीब एवं कम शिक्षित व्यक्ति द्वारा किया जाता है , पर शिक्षित एवं उच्च वर्ग भी धूम्रपान का बहुत बड़े स्तर पर शिकार है ...
युवा एवं शिक्षित वर्ग बेचैनी दूर करने का सहारा तम्बाकू को बनाते हैं ..फिर नशे की गिरफ्त में आकर अपनी अनमोल जिंदगी काल के हाथ में सौप देते हैं ..
यह जानना बहुत आवश्यक है, कि देश में हर साल धूम्रपान के 11लाख नए मरीज पैदा हो रहे है . एम्स के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक ठक्कर को कहते सुना था की तम्बाकू सेवन करने वाले 80% लोगों में कैंसर होने की संभावनाएं है , जबकि हर साल लगभग 40 हजार लोगों की कैंसर से मौत होती है, और यह आंकड़ा प्रत्येक वर्ष बढता जा रहा है ....
चिकित्सीय पत्रिका “द लैनसैट” में प्रकाशित ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिजीज, के अनुसार वर्ष 2015 में विश्व में हुई 64लाख लोगों की मौत में 11 फीसदी से अधिक लोगों की मौत का कारण धूम्रपान था और इनमे से 52.2 फीसदी लोगों की मौत चीन, भारत,अमेरिका और रूस में हुई है ..
भारत में सरकार ने धूम्रपान रोकने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाये हैं ..जिसमें सार्वजानिक स्थलों पर धूम्रपान पुरे देश में प्रतिबंधित है .. पर अभी तक अक्षरसः पालन कहीं हो पाया हैं .
नशा करके आप अपने परिवार और बच्चों को धोखा देतें है ..नशा आपके दृढ़ निश्चय से छूट सकता है ..धूम्रपान छोड़ने की शुरुआत आज और इस्सी पल से लागू होनी चाहिए ...ज्यादातर लोग ज़िन्दगी भर नशा करतें हैं और सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ पाते क्योंकि नशा छोड़ना कल पर डाल देतें है और फिर वो कल कभी नहीं आ पाता ...
धुम्रपान छोड़ना शायद आसान न हो पर इसके त्याग से बेचैनी, अनिद्रा और मानसिक तनाव से धीरे धीरे आप मुक्त होंगे ..
नशा छोड़ने के कई तरीके हैं , लेकिन हर तरीके में आपको दृढ़ संकल्प और संयम की आवश्यकता हैं ..

#WorldNoTobaccoDay

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