Monday, 26 October 2015

एक गिलास दूध की कीमत

एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा. दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजाखोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उस…ने पानी का एक गिलास पानी माँगा। 

लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है,  इसलिए वह एक बड़ा गिलास दूध का ले आई.  लड़के  ने  धीरे-धीरे दूध पी लिया.” .  कितने पैसे दूं?”  लड़के ने पूछा। ” पैसे किस बात के?”  लड़की ने जवाव में कहा.”  माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए। ”” 
तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देताहूँ.”जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकीथी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था। 
सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी।  लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया।  विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज  देखने  के  लिए बुलाया  गया. जैसे  ही  उसने  लड़की  के  कस्वे  का  नाम  सुना,  उसकी आँखों  में चमक आ गयी. वह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया।  उसने उस लड़की को देखा,  एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा। 
उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी।  डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया। लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी,   उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बच गयी है लेकिन बिल   की रकम जरूर उसकी जान ले लेगी। फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम  को  देखा  और  फिर  अचानक उसकी नज़र बिल के  कोने  में पेन से लिखे नोट पर गयी,  जहाँ लिखा था,”  एक  गिलास  दूध  द्वारा  इस  बिल  का  भुगतान  किया  जा  चुका है.” नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे। ख़ुशी और अचम्भे  से उस लड़की के गालों पर आंसू टपक  पड़े  उसने  ऊपर  कि  ओर  दोनों  हाथ उठा कर कहा,” हे भगवान! आपका  बहुत-बहुत  धन्यवाद।   आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है।

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Saturday, 24 October 2015

आपका जीवन सबसे कीमती है

एक जाने-माने वक्ता  ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है ?” हाथ उठना शुरू हो गए।  फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर  उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में चिमोड़ना शुरू कर दिया. और  फिर उसने पूछा,” कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए।  “अच्छा” उसने कहा,” अगर मैं  ये  कर  दूं ? ” और उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू कर दिया. उसने नोट उठाई , वह बिल्कुल चिमुड़ी और गन्दी हो गयी थी।
” क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?”. और एक  बार  फिर हाथ उठने शुरू हो गए।  ” मित्रों,  आप  लोगों ने आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है।  मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद  नोट  की  कीमत  घटी  नहीं, उसका मूल्य अभी  भी  500 था।  जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं।   हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है.  लेकिन आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए,  आपका मूल्य कम नहीं होता।  आप  विशिष्ट हैं, इस बात को कभी मत भूलिए।  कभी भी बीते हुए कल की निराशा को आने वाले कल के सपनो को बर्बाद मत करने दीजिये।  याद  रखें आपके पास जो सबसे कीमती चीज है, वो है आपका जीवन.”

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Monday, 5 October 2015

Keep Believing in Yourself!


There may be days when you get up in the morning and things aren’t the way you had hoped they would be.
That’s when you have to tell yourself that things will get better. There are times when people disappoint you and let you down. But those are the times when you must remind yourself to trust your own judgments and opinions, to keep your life focused on believing in yourself.
There will be challenges to face and changes to make in your life, and it is up to you to accept them.

Constantly keep yourself headed in the right direction for you. It may not be easy at times, but in those times of struggle you will find a stronger sense of who you are.So when the days come that are filled with frustration and unexpected responsibilities, remember to believe in yourself and all you want your life to be. Because the challenges and changes will only help you to find the goals that you know are meant to come true for you. Keep Believing in Yourself!

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Saturday, 3 October 2015

ऐसे कार्य करें जिससे देश के स्वाभिमान की रक्षा हो

एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा , ” आप कृपया इस दीपक को ले जाइए और दूसरा दीपक जला कर रख दीजिये।”

सेवक ने आज्ञा का पालन करते हुए ठीक वैसा ही किया।

जब चर्चा समाप्त हो गयी तब सेनापति ने उत्सुकतावश प्रश्न किया-“ हे महाराज मेरी एक बात समझ नही आई ! मेरे आगमन पर आपने एक दीपक बुझवाकर रखवा दिया और ठीक वैसा ही दूसरा दीपक जला कर रखने को कह दिया .. जब दोनों में कोई अंतर न था तो ऐसा करने का क्या औचित्य है ?”

इस पर चाणक्य ने मुस्कुराते हुए सेनापति से कहा- “भाई पहले जब आप आये तब मैं राज्य का काम कर रहा था, उसमे राजकोष का ख़रीदा गया तेल था , पर जब मैंने आपसे बात की तो अपना दीपक जलाया क्योंकि आपके साथ हुई बातचीत व्यक्तिगत थी मुझे राज्य के धन को व्यक्तिगत कार्य में खर्च करने का कोई अधिकार नही, इसीलिए मैंने ऐसा किया। ”

उन्होंने कहना जारी रखा-“ स्वदेश से प्रेम का अर्थ है अपने देश की वस्तु को अपनी वस्तु समझकर उसकी रक्षा करना..ऐसा कोई काम मत करो जिससे देश की महानता को आघात पहुचे, प्रत्येक देश की अपनी संस्कृति और आदर्श होते हैं.. उन आदर्शों के अनुरूप काम करने से ही देश के स्वाभिमान की रक्षा होती है। ”

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Thursday, 1 October 2015

बुजुर्गों को निष्प्रयोज्य ना समझें, उन्हें उचित सम्मान दें


एक पेड़ जितना ज्यादा बड़ा होता है, वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है; यानि वह उतना ही विनम्र और दूसरों को फल देने वाला होता है| यही बात समाज के उस वर्ग के साथ भी लागू होती है, जिसे आज की तथाकथित युवा तथा उच्च शिक्षा प्राप्त पीढ़ी बूढ़ा कहकर वृद्धाश्रम में छोड़ देती है। वह लोग भूल जाते हैं कि अनुभव का कोई दूसरा विकल्प दुनिया में नहीं है। यह दुर्भाग्य है कि  जिस घर को बनाने में एक व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी लगा देता है, वृद्ध होने के बाद उसे उसी घर में एक तुच्छ वस्तु समझ लिया जाता है। 

आज का वृद्ध समाज अत्यधिक कुंठा ग्रस्त है और सामान्यत: इस बात से सर्बाधिक  दु:खी  है  कि  जीवन  का विशद अनुभव होने के बावजूद कोई उनकी राय न तो लेना चाहता है और न ही उनकी राय को महत्व ही देता है। इस प्रकार अपने को समाज में एक तरह से  निष्प्रयोज्य समझे जाने के कारण  हमारे वृद्धजन सर्वाधिक दुखी रहते हैं । हमारे वृद्धों, बुजुर्गों को इस दुःख और संत्रास से छुटकारा दिलाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है ।

वृद्धों के कल्याण के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए, जो उनमें जीवन के प्रति उत्साह उत्पन्न करें । इसके लिए उनकी रुचि के अनुसार विशेष प्रकार की योजनाएं भी लागू की जा सकती हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर हम अपने बड़ों, बुजुर्गों के प्रति आदर एवं सम्मान बनाए रखने का प्रण लेते हुए ना सिर्फ उन्हें  अपने परिवार में सर्वोच्च स्थान दें बल्कि उनके सुख दुःख का सतत  चिंतन करते हुए उनके   अधिकारों की  रक्षा करने का सामूहिक संकल्प लें। 

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