देश में गुर्दा रोग एवं रोगियों की संख्या चिंताजनक
देश भर मे,गुर्दे के जानलेवा रोगों की संख्या चिंताजनक ढंग से बढ रही है। अगर आपको मधुमेह,हाइपरटेंशन या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन(यूटीआई) है,तो गुर्दे के ख़राब होने का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर गुर्दा रोगी अस्पताल तब पहुंचते हैं जब उनका गुर्दा लगभग 50 प्रतिशत खराब हो चुका होता है। भारत मे,लगभग 16 प्रतिशत लोग गुर्दे की खतरनाक बीमारियों से पीड़ित हैं।
चिकित्सकों का मानना है कि लोगों को गुर्दे के रोग से बचने के लिए उसी प्रकार जांच करानी चाहिए जिस प्रकार वे मूत्र,रक्त,पेट के अल्ट्रासाउंड आदि के मामले मे करते हैं ताकि शुरूआती दौर मे ही पता लगाया जा सके। डायबिटीज और हाइपरटेंशन के रोगियों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों मे गुर्दे की जानलेवा बीमारी की संभावना 50 प्रतिशत ज्यादा होती है।
गुर्दे को किसी भी प्रकार के नुकसान का प्रभाव हृदय पर भी पड़ता है क्योंकि बेकार पदार्थों को बाहर निकालने के अलावा,गुर्दा शरीर मे हीमोग्लोबिन तथा रक्तचाप सामान्य बनाए रखने का काम भी करता है। गुर्दे के प्रति सतर्क रहना इसलिए भी जरूरी है कि इससे जुड़े रोगों के इलाज यानी,डायलिसिस अथवा प्रत्यारोपण पर बहुत ज्यादा खर्च आता है जिसे वहन कर सकने मे 80 प्रतिशत रोगी अक्षम होते हैं।
डायलिसिस जीवन भर की बाध्यता बन जाती है और प्रति डायलिसिस लगभग 18 से 20 हजार रूपए प्रतिमाह का खर्च(गैर-सरकारी मामलों मे) आता है। गुर्दा प्रत्यारोपण पर 5 से 8 लाख रूपए तक का खर्च आता है। यह एक बेहतर विकल्प तो है लेकिन गुर्दा दान करने वाला ढूंढना मुश्किल होता है।
आज विश्व गुर्दा दिवस पर आवश्यकता है कि हम सब गुर्दा बिमारियों को बढ़ावा देने कारणों के प्रति सचेत रहें और दूसरों को भी सचेत रहने की सलाह दें
देश भर मे,गुर्दे के जानलेवा रोगों की संख्या चिंताजनक ढंग से बढ रही है। अगर आपको मधुमेह,हाइपरटेंशन या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन(यूटीआई) है,तो गुर्दे के ख़राब होने का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर गुर्दा रोगी अस्पताल तब पहुंचते हैं जब उनका गुर्दा लगभग 50 प्रतिशत खराब हो चुका होता है। भारत मे,लगभग 16 प्रतिशत लोग गुर्दे की खतरनाक बीमारियों से पीड़ित हैं।
चिकित्सकों का मानना है कि लोगों को गुर्दे के रोग से बचने के लिए उसी प्रकार जांच करानी चाहिए जिस प्रकार वे मूत्र,रक्त,पेट के अल्ट्रासाउंड आदि के मामले मे करते हैं ताकि शुरूआती दौर मे ही पता लगाया जा सके। डायबिटीज और हाइपरटेंशन के रोगियों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों मे गुर्दे की जानलेवा बीमारी की संभावना 50 प्रतिशत ज्यादा होती है।
गुर्दे को किसी भी प्रकार के नुकसान का प्रभाव हृदय पर भी पड़ता है क्योंकि बेकार पदार्थों को बाहर निकालने के अलावा,गुर्दा शरीर मे हीमोग्लोबिन तथा रक्तचाप सामान्य बनाए रखने का काम भी करता है। गुर्दे के प्रति सतर्क रहना इसलिए भी जरूरी है कि इससे जुड़े रोगों के इलाज यानी,डायलिसिस अथवा प्रत्यारोपण पर बहुत ज्यादा खर्च आता है जिसे वहन कर सकने मे 80 प्रतिशत रोगी अक्षम होते हैं।
डायलिसिस जीवन भर की बाध्यता बन जाती है और प्रति डायलिसिस लगभग 18 से 20 हजार रूपए प्रतिमाह का खर्च(गैर-सरकारी मामलों मे) आता है। गुर्दा प्रत्यारोपण पर 5 से 8 लाख रूपए तक का खर्च आता है। यह एक बेहतर विकल्प तो है लेकिन गुर्दा दान करने वाला ढूंढना मुश्किल होता है।
आज विश्व गुर्दा दिवस पर आवश्यकता है कि हम सब गुर्दा बिमारियों को बढ़ावा देने कारणों के प्रति सचेत रहें और दूसरों को भी सचेत रहने की सलाह दें
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