दरअसल खास होने के कोई मायने नहीं है और सेवाधारी तो खास कैसे हो सकते हैं । सरकार में सभी सेवक ही तो हैं चुने हुए प्रतिनिधि भी और व्यवस्थाओं के स्थायी जन भी ।सभी का कार्य राष्ट्र , समाज और जन का संरक्षण और विकास है। फिर किसी को यह दम्भ क्यों हो कि वह ख़ास है ? जब पर्सन से मन खास नहीं हुआ तो हमने उसमे इम्पोर्टेन्ट लगा दिया और उसे और ख़ास करते हुए वेरी लगाकर आम जनसेवक वीआइपी बन गए। अब इस कल्चर को समाप्त करने की व्यव्स्थात्मक पहल स्वागतमय और अतुल्य है।
इस वैचारिक पहल और समदृष्टि के लिए कार्यपालिका और न्यायपालिका की प्रशंसा की जाना चाहिए।
डॉ भय्यू महाराज
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