Tuesday, 19 April 2016

मुश्किलों पर विजय

मित्रों, हम सभी को समय समय पर अवांछित मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई लोग इन मुश्किलों के बोझ तले  इतने दब जाते हैं कि वो नैराश्य की अवस्था में पहुँच कर हतोत्साहित हो जाते हैं, और कई बार तो इन मुश्किलों एवं अपनी मानसिक यातनाओं से  मुक्ति के लिए तो आत्महत्या तक कर बैठते हैं। यह अत्यन्त दुखद स्थिति है।  हम मुश्किलों से जितना दूर भागेंगे, मुश्किलें उतना ही अधिक हमारा पिछा करेंगी। आवश्यकता है कि हम सब अपने जीवन में आए मुश्किलों का डट कर सामना करें, इसे अपने मनःस्थिति पर हावी ना होने दें और तब मुश्किलें स्वतः ही परास्त हो जाएंगी।  इसी सन्दर्भ में, मैँ आप सबको एक कथा सुनाता हूँ।  कथा कुछ इस तरह है ---  दो व्यक्ति राम और श्याम शहर से कमाकर पैसे लेकर घर लौट रहे थे। अपनी मेहनत से राम ने खूब पैसे कमाए थे, जबकि श्याम कम ही कमा पाया था। श्याम के मन में खोट आ गया। वह सोचने लगा कि किसी तरह राम  का पैसा हड़पने को मिल जाए, तो खूब ऐश से जिंदगी गुजरेगी। रास्ते में एक उथला कुआं पड़ा, तो श्याम ने राम को उसमें धक्का दे दिया। राम गढ्डे से बाहर आने का प्रयत्न करने लगा। 
श्याम ने सोचा कि यह ऊपर आ गया, तो मुश्किल हो जाएगी। इसलिए श्याम साथ लिए फावड़े से मिट्टी खोद-खोदकर कुएं में डालने लगा। लेकिन जब राम के ऊपर मिट्टी पड़ती, तो वह अपने पैरों से मिट्टी को नीचे दबा देता और उसके ऊपर चढ़ जाता। मिट्टी डालने के उपक्रम में श्याम इतना थक गया था कि उसके पसीने छूटने लगे। लेकिन तब तक वह कुएं में काफी मिट्टी डाल चुका था और राम उन मिट्टियों पर चढ़ कर  ऊपर आ गया।
मित्रों, इस कथा का सार यह है कि जीवन में कई ऐसे क्षण आते हैं, जब बहुत सारी मुश्किलें एक साथ हमारे जीवन में मिट्टी की तरह आ पड़ती हैं। जो व्यक्ति इन मुश्किलों पर विजय प्राप्त कर आगे बढ़ता जाता है उसी की जीत होती है और वही  जीवन में हर बुलंदियों को छूता है

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