अपने पूर्वजों, पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए 'पितृ पक्ष' के दौरान श्राद्ध कर्म एवं तर्पण करना नितान्त आवश्यक है। हिन्दू शास्त्रों में देवों को प्रसन्न करने से पहले, पितरों को प्रसन्न किया जाता है क्योंकि देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता है। हिन्दू धर्म में श्राद्ध पक्ष के सोलह दिन निर्धारित किए गए हैं ताकि हम अपने पूर्वजों को याद करें और उनका तर्पण कर उन्हें शांति और तृप्ति प्रदान करें, जिससे कि उनका आशीर्वाद हमें सदैव मिलता रहे, हमारा हर कार्य निर्विघ्न संपन्न होता रहे और हम सुख, शांति एवं समृद्धि के साथ अपना जीवन यापन कर सकें । जिन माता, पिता, दादा, दादी, प्रपितामह, मातामही एवं अन्य बुजुर्गों के लाड, प्यार, श्रम से कमाएं धन एवं इज्जत के सहारे हम और आप सुखपूर्वक रहते हैं, तो हमारा परम कर्तव्य बनता है कि हमारे इन परिवारों के बुजुर्गों, जिनका शरीर पंच तत्व में विलीन हो गया है, उन्हें पितृ पक्ष के दौरान तर्पण देकर, उनके नाम से दान दक्षिणा कर तथा उनके नाम से पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधा रोपण कर उनके प्रति अपने अटूट श्रद्धा को अर्पित करें तथा पितृलोक में उन्हें प्रसन्न रख कर उनका यथेष्ठ आशिर्वाद प्राप्त करें।
यदि हम अपने पूर्वजों के प्रति चाहे वो हमारे अपने माता, पिता, पितामह और प्रपितामह, मातामही या प्रमातामह हों, किसी भी तरह का असम्मान प्रकट करते हैं, उनकी इच्छा के विरुद्ध कोई कार्य करते हैं, तो हमें अपने पितरों के कोप का भाजन बनना पड़ता है और हमें पितृ दोष की अति कठोर पीड़ा झेलनी पड़ती है। पर हममें से अधिक लोग कामकाजी, नौकरीपेशा एवं अपने व्यावसायिक कार्यों में व्यस्त होने के कारण, अपने पितरों को पितृ पक्ष के दौरान तर्पण नहीं अर्पित कर पाते और इसका परिणाम हमें आनेवाले समय में ना चाहते हुए भी भुगतना पड़ता है। अतः पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को तर्पण देना हिन्दू वंश में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का परम एवं पुनीत कर्तव्य है।
प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष के दौरान हमारे इंदौर स्थित 'सूर्योदय आश्रम' पर विद्वान् पंडितों के वैदिक पद्धति से कराये गए मंत्रोच्चार के बीच सैकड़ों धर्मावलंबियों के पूर्वजों की स्मृति में तर्पण कराया जाता है। इस पितृ पक्ष पर भी सूर्योदय परिवार द्वारा आगामी 16 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच पर्यावरण संरक्षण एवं उसके शुद्धिकरण हेतु 11,000 फलदार एवं औषधीय पौधों को रोपित करने का संकल्प लिया गया है। आप सभी महानुभाव पितृ पक्ष के अवसर पर आयोजित इस पुनीत कार्य में सहभागी होकर अपने पितरों के नाम पौधा रोपित कर सकते हैं, उन्हें तर्पण दे सकते हैं एवं उनके नाम पर दान कर पूण्य प्राप्त कर सकते हैं।
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