“ रिटायर्ड मास्टर धुलचन्द जी अपनी नियमित सुबह की सैर से घर लौटकर
स्नान एवं पूजा-पाठ आदि कार्य करने के बाद अपने एकमात्र पुत्र कमल के कक्ष में
जाते हैं | सुबह की दस बज चुकी है , कमल अभी भी सो रहा है , उसे देखकर मास्टर
धुलचन्द मन ही मन क्रोधित होकर , अपने विद्यार्थियों को पढाए आदर्श जीवन के
सिद्धांतों को अपने ही घर में ध्वस्त होते देख दुखी हो जाते हैं | अपनी भावनाओं को
काबू करते हुए अपने पुत्र को जगाने का प्रयास करते हैं , कमल झल्ला कर जागता है और
‘जल्दी’ जगाने का कारन पूछता है | मास्टर जी अपने बेरोजगार बेटे को हाथ में तीन
हजार रूपए देते हैं जो कि उनकी मासिक पेंशन में से अन्य सभी भुगतानों को काट कर
शेष बची रकम है | रुपयों के साथ घर के मासिक राशन की सूचि भी देते हैं और कहते हैं
की घर का राशन खत्म हो चूका है , आज ले आना नहीं तो आज घर में खाना नहीं बन पाएगा
| कमल बिना कोई जवाब दिए , बाथरूम की ओर
बढ़ जाता है , मास्टर जी भी मन-मसोज कर घर से बाहर निकल जाते हैं |
कुछ देर बाद कमल तैयार
होकर घर से राशन लेने निकलता है , रास्ते में मौहल्ले के कुछ शराबी दोस्त मिलते
हैं | कुछ इधर-उधर की बातों के बाद दोस्ती का वास्ता देकर कमल को भी अपने साथ शराब
पीने ले जाते हैं | मौहल्ले के एक खाली मैदान में शराब का लम्बा दौर चलता है , सभी
नशे में धुत्त हो जाते हैं , इतने में एक दोस्त अपनी जेब से ताश की गड्डी निकाल कर
सभी से जुआ खेलने की मंशा जाहिर करता है | सभी दोस्त जुआ खेलने लगते हैं , कमल भी
अपनी जेब में रखे राशन के रुपयों से जुएँ की बाजियां लगाने लगता है |
तभी वहां से पुलिस की गाड़ी
गश्त पर निकलती है | शराबियों को जुआ खेलते देख पुलिस के जवान सभी को पकडकर थाने
ले आते हैं और उनसे मिला सारा रुपया जब्त कर लेते हैं |
रात होने को है , उधर
मास्टर धुलचन्द भूख से व्याकुल होकर अपने पुत्र कमल के राशन लेकर आने की राह देख
रहे हैं | तभी मौहल्ले का कोई लड़का आकर कमल के दोस्तों के साथ जुआ खेलने के अपराध
में थाने में बंद होने की खबर मास्टर जी को देता है | भूखे मास्टर जी अपनी दिवंगत
पत्नी को याद करते हैं और दुखी मन से चल पड़ते हैं अपने पुत्र के कृत्य पर शर्मिंदा
होने थाने की ओर |
-थाने जाकर क्या होगा ,
कमल की जमानत कैसे होगी , मासिक राशन का क्या होगा ये सोचकर भूखे मास्टर जी की
आँखे भर आती हैं |
( इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि संस्कारी पृष्ठभूमि से होने के
बाद भी कुसंगति एवं बुरी आदतें मनुष्य को पथभ्रष्ट ही नहीं करती वरन नष्ट भी कर सकती हैं | इसलिए हमें इन बुराइयों
से सदैव दुरी बनाए रखना चाहिए )
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