Monday, 20 February 2017

और शिवाजी भी वासुदेव की तरह अपने कृष्ण संभाजी को जेल से बाहर ले आये*

छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल एक महान योध्दा थे वे सफल रणनीतिकार , युध्द संचालक, गौरील्ला - छापामार युध्द के प्रणेता , हिन्दू धर्म के प्रसारक ,सर्व धर्म के संरक्षक और गहन कूटनीतिज्ञ भी थे। यही वजह थी कि मात्र 17 वर्ष की कच्ची उम्र में ही वे चाकन से लेकर नीरा तक के वृहद भू भाग के अधिपति बन गए उन्होंने अपनी पराक्रम शैली से अनेक दुर्गों पर कब्ज़ा किया ,अपनी  विशाल सेना का गठन मावल युवकों का साथ लेकर किया और मराठा साम्राज्य की अतुलनीय नीव रखकर मुगलो और अंग्रेजों को घुटनो पर ला खड़ा किया ।

 मुगलों से लोहा लेते हुए छत्रपति शिवाजी ने साम्राज्यवादी औरंगजेब को संधि वार्ता  के लिए मज़बूर भी किया ।औरंगजेब जब शिवाजी की वृहद सेना से नहीं निपट सका तब उसने शिवाजी को अपने 9 साल के पुत्र संभाजी के साथ आगरा बुलाया लेकिन वहां औरंगजेब ने शिवाजी का तिरस्कार कर दरबार में उन्हे पीछे खड़ा किया स्वाभिमानी छत्रपति मराठा थे वे इसे कैसे सहन कर सकते थे उन्होंने वहीं उन पर हमला कर दिया । आखिर मुगल सम्राट का दरबार था ,मुगल सेना थी शिवाजी  को उनके मासूम पुत्र संभाजी समेत बंदी बना लिया गया। शिवाजी तो निडर और बेहतर रणनीतिकार थे उन्होंने बीमारी का बहाना बनाकर औरंगजेब को इसलिए राजी कर लिया कि बन्दीगृह में उनके लिए दवा- दुआ, संत फ़क़ीर आदि को मिलने आने दिया जाए। औरंगजेब मान गया  और बन्दीगृह में उनके लिए ये सब आवाजाही शुरू हो गयी। कुछ दिनों तक के सामान्य सिलसिले के बाद एक दिन अपने पुत्र संभाजी को  फल की टोकरी में छिपाकर और सेवाधारी के रूप में भेष बदलकर उसी तरह बाहर आ गए जैसे वासुदेव अपने नौनिहाल श्रीकृष्ण को टोकरी में रखकर मथुरा में कंस के कारावास से बाहर आ गए थे। 

यह अज़ीब संयोग है कि छत्रपति शिवाजी ने मथुरा से कोई 40 मील नज़दीक आगरा में अपनी कुशाग्र बुध्दि और चातुर्यता से वही लीला की जो युगों पूर्व  भगवान् श्रीकृष्ण के अवतरित होने के समय हुई थी। छत्रपति शिवाजी ने इसके बाद मुगलों के महाविनाश का व्यूह रचा और हिन्दुस्तान से उनकी चूल्हें  हिला दी। मराठा साम्राज्य छत्रपति शिवाजी की ऐसी देन है जो मुगलों को खदेड़ने में कामयाब हुआ ।
छत्रपति शिवाजी महाराज  आज भी हमें गौरवशाली और स्वाभिमानी जीवन ,सफलता के लिए सजगता और चपलता के साथ योजनाबध्द प्रयास करने की प्रेरणा देते हैं ।
*डॉ भय्यू महाराज*

0 comments:

Post a Comment

Total Pageviews