Tuesday, 7 March 2017

भक्ति की शक्ति से करे हम राष्ट्र आराधना.


भक्ति की शक्ति से करे हम राष्ट्र आराधना.

मनुष्य जीवन की यात्रा में अपने लक्ष्य तक पहुचने से पूर्व कई पड़ाव आते | मार्ग में पड़ाव और ध्येय की प्राप्ति आदि एक अनवरत चलने वाला क्रम है | यहाँ आवश्यक है यात्रा और इसमें भी अधिक आवश्यक है अपने जीवन के उद्देश्य को पहचान कर, उसकी प्राप्ति हेतु यात्रा|चल तो सभी रहे है परन्तु चलना क्यों है ? और कैसे चलना है ? वे अपनी संवेदना को विस्तार देते हुए चल रहे है| अपने और अपने परिवार के साथ ही अपने समाज, अपने धर्म, अपने राष्ट्र और सम्पूर्ण मानवता ही नहीं,  अपितु प्राणिमात्र के कल्याण के लिए कुछ करने का भाव लिए चल रहे है |
ऐसे मनुष्य अपनी-अपनी क्षमताव के अनुरूप कार्य करते है | समाज की विसंगतियों से उन्हें पीड़ा तो होती है , परन्तु संसाधनों के अभाव में वे अधिक कुछ कर नहीं पाते| यदि हम यह विचार करें की मनुष्य को ईश्वर ने अपार क्षमता दी है, तो यह सत्य है और वह अपनी क्षमता के सही उपयोग से वह कर सब करता है, जो वह जो सोचता है| परन्तु सामान्यता: ऐसा नहीं हो पाता है | इसका कारण उसका कर्तापन है| यदि मनुष्य कुछ करना चाहे और साधन का सहारा लेना चाहिए| मानसिक आधार कार्य करने की प्रवत्ति का त्याग करते हुए उसे अध्यात्मिक आधार पर करना चाहिए, तभी कार्य सफल हो पाता है|
भगवान राम स्वयं विष्णु के अवतार थे | उन्होंने ही श्रष्टि के पालन का भार अपने उपर लिया था,  परन्तु मनुष्य रूप में रावण से युद्ध करने से पूर्व मा दुर्गा की आराधना कर उनसे शक्ति की याचना की थी | रामेश्वर में शिवलिंग की स्थापना कर भगवन शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया था, तभी आगे प्रस्थान किया था| अर्थात साधना कर शक्ति की प्राप्ति की थी | इस बात से  यह सिखा जा सकता है की जब हम करते है तो ईश्वर साथ नहीं देते है, परंतु जब यह भाव रख कर जब हम कृति करते हैं कि यह कार्य हमसे ईश्वर करवा रहे है, तब उसे पूर्ण होने से कोई रोक नहीं सकता | हमारे व्यक्तित्व जीवन में तथा समष्टिगत जीवन में ईश्वर का आशीर्वाद बना रहे है, इस हेतु आवश्यक है कि उनकी कृपा का संपादन हम पर होता रहे और वह साधना द्वारा ही संभव है |
भगवान दत्तात्रेय हमारी व्यावहारिक समस्यायों को दूर कर हमारे लिए साधना हेतु पोषक मार्ग सिद्ध करते है साधना हमें शक्ति प्रदान करती है, उसी शक्ति से संकल्पों की पूर्ति संभव होती है | ऐसे कृपावत्सल, आनंदघन, अत्रिनंदन,अनुसूयासुत, गुरुदेव दत्त भगवान की  सेवा करने का अवसर हर व्यक्ति के समक्ष उपस्थित होता है|   दत्त भगवान हम पर, हमारे राष्ट्र पर, संपूर्ण विश्व पर साथ ही प्राणिमात्र को संकटो से मुक्ति प्रदान करे, यही  कामना हम करते है|

जय हिन्द |  


3 comments:

  1. जय.जय..जय...जय....जय गुरुदेव !!!!!

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  2. जय.जय..जय...जय....जय गुरुदेव !!!!!

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