तुष्टि नहीं ये पुष्टि , संतुष्टि का राजयोग है
डॉ भय्यू महाराज
पाँच राज्यो के चुनाव के चुनाव परिणाम राष्ट्र में राजनैतिक दृष्टिकोण में बदलाव के शुभ सूचक है। आप सोचते होंगें राज्यो में किस राजनैतिक दल ने कितनी और कैसी विजय प्राप्त की है लेकिन मेरा सोचना है यह लोकतंत्र की राजनैतिक दृष्टि की महाविजय है ,यह राजनेताओं के दृष्टि परिवर्तन की विजय है ,यह लोकशक्ति के दूरदृष्टि की विजय है फिर चाहे परिणाम उप्र के हो , उत्तराखंड के हों ,गोवा के हों , पंजाब के हों या फिर मणिपुर के । यह राष्ट्रतंत्र के लोक की परिवर्तनीय दृष्टि है।
इस दृष्टि में किस तरह का राजयोग बना है यह जानने के लिए परिणामों का नहीं इसके अंतर में निहित उन हालतो को समझना होगा जो सत्ता प्राप्ति के लिए राजनीति के दूषित कारक बन गए । कोई भी राज राज्य और प्रजा के योग से बनता है जो इसे समझ लेता है उसका राजयोग निर्मित हो जाता है। लेकिन दूषित राजनीति के बढ़ते प्रवाह में राज्य और प्रजा दोनों बह गए और राजनीति में तुष्टिकरण की रीति प्रविष्ट हो गयी । राजनीतिज्ञ राज्य को भूल गए और प्रजा याने इंसान को राजनैतिक अस्त्र की तरह इस्तेमाल करने लगे । ऐसे में इंसान वर्ग , जाति और धर्म में कुटिलता से विभक्त हो गया और राजनीति इसके आसपास केंद्रित हो गई ।
सत्ता प्राप्ति के योग इंसान की जरुरत और उसके विकास की अवधारणा से नहीं उसके वर्गीकृत होने ,उसके जातिगत होने और उसके धर्माधारित होने की तुष्टि पर निर्मित होने लगे हैं। इस दूषित राजनीति का फैलाव अब भी बहुत ज्यादा है पर मुझे लगता है इस बार तुष्टि पर पुष्टि और संतुष्टि ने बढ़ चढ़कर राजनैतिक हल्ला बोला है । यह परिवर्तन राजनेताओं में भी है और लोगों में भी । राजनीति इस समय सही राह पर है । इस समय लोगों ने विकास की अवधारणा को साथ लिया उन्होंने तुष्टि करने वाले प्रलोभनों को छोड़ा और इस बात की पुष्टि की कि कौन राष्ट्र, समाज और मानव के लिए लोकहितकारी और राज्यहितकारी है। यह सोच सही दृष्टिकोण है और जिस राजनेता ने इसे समझ लिया उसने ही लोकतंत्र को संतुष्ट करने के नीतिगत प्रयास करना शुरू किये जहाँ जिस पर लोगों को संतुष्टि हुई वहाँ वह विजयी हो गया। यह अच्छा संकेत है ।
उम्मीद, राजनेता इस सोच को बनाये रख राष्ट्र राज्य समाज और मानव के लिए विकासोन्मुख कार्य करने की परिवर्तनीय शैली को बनाये रखेंगे और आशा अनुरूप कार्य करने में सक्षम होंगें ।
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