आज पुरे देश में हरतालिका तीज मनाई जा रही है। आज के दिन माताएं, बहनें उपवास रख कर अखंड सौभाग्य के लिए शिव-पार्वती की पूजा करेंगी।
वैसे तो इस व्रत को साधारणतया सभी कुआंरी युवतियां तथा सौभाग्यवती औरतें ही करती हैं पर हमारे पौराणिक शास्त्रों में इसके लिए सधवा-विधवा सबको आज्ञा दी गई है। इस व्रत को 'हरतालिका' इसीलिए कहते हैं कि क्योंकि माता पार्वती की सखी उन्हें पिता-प्रदेश से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। 'हरत' अर्थात हरण करना और 'आलिका' अर्थात सखी, सहेली। पौराणिक कथा अनुसार इस व्रत को करने से कुंआरी युवतियों को मनचाहा वर मिलता है और सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं।c
वैसे तो इस व्रत को साधारणतया सभी कुआंरी युवतियां तथा सौभाग्यवती औरतें ही करती हैं पर हमारे पौराणिक शास्त्रों में इसके लिए सधवा-विधवा सबको आज्ञा दी गई है। इस व्रत को 'हरतालिका' इसीलिए कहते हैं कि क्योंकि माता पार्वती की सखी उन्हें पिता-प्रदेश से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। 'हरत' अर्थात हरण करना और 'आलिका' अर्थात सखी, सहेली। पौराणिक कथा अनुसार इस व्रत को करने से कुंआरी युवतियों को मनचाहा वर मिलता है और सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं।c
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