कुछ वर्ष पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ द्धारा जारी किये गए रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी के पैमाने पर भारत में रह रहे आदिवासियों की स्थिति विश्व के 25 निचले सबसे गरीब देशों में रह रहे लोगों के बराबर है। गरीबी, अशिक्षा, ख़राब स्वास्थ्य, बेरोजगारी, मानवाधिकार इत्यादि के मामले में उनकी माली स्थिति अनसूचित जाति समुदाय के लोगों से भी बदतर है। यदि संयुक्त राष्ट्रसंघ के रिपोर्ट को सही माना जाय तो भारत में गरीबों की संख्या 2015 तक, सहस्त्रवादी विकास गोल के अंतर्गत आधी कर पाना नामुमकिन प्रतीत होता है। रिपोर्ट के अनुसार, यद्दपि भारत में सामान्य जनसँख्या में 1993 से 2000 के दरमियान गरीबी की स्थिति में सुधार हुआ है, आदिवासियों में यह सुधार ना के बराबर है।
जहाँ तक अशिक्षा, स्वास्थय का प्रश्न है, हमारे आदिवासिओं के स्थिति में सरकार के कतिपय आदिवासी-हितैषी नीतियों के बाबजूद, कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है, जो चिंतनीय है। आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर हम सब अपने आदिवासी समुदाय के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सामूहिक संकल्प लें जिससे की वो भी समाज के अन्य अग्रणी समुदायों के साथ विकास पथ पर कदमताल मिला कर चल सकें।
जहाँ तक अशिक्षा, स्वास्थय का प्रश्न है, हमारे आदिवासिओं के स्थिति में सरकार के कतिपय आदिवासी-हितैषी नीतियों के बाबजूद, कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है, जो चिंतनीय है। आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर हम सब अपने आदिवासी समुदाय के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सामूहिक संकल्प लें जिससे की वो भी समाज के अन्य अग्रणी समुदायों के साथ विकास पथ पर कदमताल मिला कर चल सकें।
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