मादक पदार्थों
के नशे की लत आज के युवाओं में तेजी से फ़ैल रही है और इसका सेवन हमारे
समाज के लिए अभिशाप बन गया है। बड़े तो बड़े यहाँ तक कि स्कूली छात्र -
छात्रों एवं छोटे छोटे बच्चे भी नशे के आदि हो चुके हैं। कई बार फैशन की
खातिर दोस्तों के उकसावे पर लिए गए ये मादक पदार्थ अक्सर जानलेवा होते
हैं। कुछ बच्चे तो फेविकोल, तरल इरेज़र, पेट्रोल कि गंध और स्वाद से
आकर्षित होते हैं और कई बार कम उम्र के बच्चे आयोडेक्स, वोलिनी जैसी दवाओं
को सूंघकर इसका आनंद उठाते हैं।
आज देश में शराब का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, साथ ही बढ़ रही है मद्यपान के कारण मौत से जूझने वालों की संख्या। 15 से 20 प्रतिशत भारतीय आज शराब पी रहे हैं। 20 साल पहले जहाँ 300 लोगों में से एक व्यक्ति शराब का सेवन करता था, वहीं आज 20 में से एक व्यक्ति शराबखोर है। परंतु महिलाओं में इस प्रवृत्ति का आना समस्या की गंभीरता दर्शाता है। पिछले दो दशकों में मद्यपान करने वाली महिलाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। विशेष कर उच्च तथा उच्च मध्यम वर्ग की महिलाओं में यह एक फैशन के रूप में आरंभ होता है और फिर धीरे-धीरे आदत में शुमार होता चला जाता है। महिलाओं में मद्यपान की बढ़ती प्रवृत्ति के संबंध में किए गए सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि क़रीब 40 प्रतिशत महिलाएँ इसकी गिरफ्त में आ चुकी हैं, कि हमारे समाज के लिए अति घातक है । नशा का सेवन हमारे अर्थ व्यवस्था को नुक्सान पहुँचा रहा है।
मादक पदार्थों के उत्पादन, तस्करी एवं सेवन के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराने के लिए प्रति वर्ष 26 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस' मनाया जाता है। लोगो को कुव्यशन से दूर करने के लिए और समाज से मादक पदार्थों के बढ़ते उपयोग को ख़त्म करने के लिए हमारे ट्रस्ट के द्वारा भी नशामुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। आज अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस' पर में सभी देशवासियोँ से, विशेषकर हमारे युवा साथियों से मादक पदार्थों के सेवन और उसके अवैध तस्करी को रोकने हेतु एकजुट होकर संगठित प्रयास करने का आग्रह करता हूँ, क्योंकि मादक पदार्थों का सेवन ना सिर्फ हमारे अकाल मृत्यु का कारण बनता है, परिवारों को तोड़ता है बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को भी नुक्सान पहुँचाता है। इसके साथ ही मादक पदार्थों के तस्करी से हमारे देश में आतंकवाद एवं अपराधों को भी बढ़ावा मिल रहा है।
आज देश में शराब का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, साथ ही बढ़ रही है मद्यपान के कारण मौत से जूझने वालों की संख्या। 15 से 20 प्रतिशत भारतीय आज शराब पी रहे हैं। 20 साल पहले जहाँ 300 लोगों में से एक व्यक्ति शराब का सेवन करता था, वहीं आज 20 में से एक व्यक्ति शराबखोर है। परंतु महिलाओं में इस प्रवृत्ति का आना समस्या की गंभीरता दर्शाता है। पिछले दो दशकों में मद्यपान करने वाली महिलाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। विशेष कर उच्च तथा उच्च मध्यम वर्ग की महिलाओं में यह एक फैशन के रूप में आरंभ होता है और फिर धीरे-धीरे आदत में शुमार होता चला जाता है। महिलाओं में मद्यपान की बढ़ती प्रवृत्ति के संबंध में किए गए सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि क़रीब 40 प्रतिशत महिलाएँ इसकी गिरफ्त में आ चुकी हैं, कि हमारे समाज के लिए अति घातक है । नशा का सेवन हमारे अर्थ व्यवस्था को नुक्सान पहुँचा रहा है।
मादक पदार्थों के उत्पादन, तस्करी एवं सेवन के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराने के लिए प्रति वर्ष 26 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस' मनाया जाता है। लोगो को कुव्यशन से दूर करने के लिए और समाज से मादक पदार्थों के बढ़ते उपयोग को ख़त्म करने के लिए हमारे ट्रस्ट के द्वारा भी नशामुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। आज अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस' पर में सभी देशवासियोँ से, विशेषकर हमारे युवा साथियों से मादक पदार्थों के सेवन और उसके अवैध तस्करी को रोकने हेतु एकजुट होकर संगठित प्रयास करने का आग्रह करता हूँ, क्योंकि मादक पदार्थों का सेवन ना सिर्फ हमारे अकाल मृत्यु का कारण बनता है, परिवारों को तोड़ता है बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को भी नुक्सान पहुँचाता है। इसके साथ ही मादक पदार्थों के तस्करी से हमारे देश में आतंकवाद एवं अपराधों को भी बढ़ावा मिल रहा है।
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