संविधान एक ग्रन्थ है ,जो हमें आदर्श नागरिकता का बोध करता है ।
किसी भी राष्ट्र को सुचारू रूप से चलने के लिए नीति नियम होते है। वह नीति नियम जिसके माध्यम से जिस भूमि पर हम रह रहे है,जिसे हम अपना मानते है,उसकी रक्षा,उसका विकास और उसकी संस्कृति को अपनाने के लिए नियम। जिस्व किसी को तोड़ने का अधिकार नहीं है।उन नियमो का पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
अश्त्र में रहने वाला व्यक्ति,जिससे परिवार बनता है और परिवार से मिलकरमिलकर समाज बनता है और अनेक समाज मिलकर एक राष्ट्र होता है अर्थात जो व्यक्ति है,वही राष्ट्र है। इसलिए कहते है की व्यक्ति विकास राष्ट्र का विकास है और है और व्यक्ति का पतन राष्ट्र का पतन है।
किसी भी राष्ट्र को सुचारू रूप से चलने के लिए नीति नियम होते है। वह नीति नियम जिसके माध्यम से जिस भूमि पर हम रह रहे है,जिसे हम अपना मानते है,उसकी रक्षा,उसका विकास और उसकी संस्कृति को अपनाने के लिए नियम। जिस्व किसी को तोड़ने का अधिकार नहीं है।उन नियमो का पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
अश्त्र में रहने वाला व्यक्ति,जिससे परिवार बनता है और परिवार से मिलकरमिलकर समाज बनता है और अनेक समाज मिलकर एक राष्ट्र होता है अर्थात जो व्यक्ति है,वही राष्ट्र है। इसलिए कहते है की व्यक्ति विकास राष्ट्र का विकास है और है और व्यक्ति का पतन राष्ट्र का पतन है।
विश्व के भौगोलिक धरातल पर हम बात करते है तो एक भूमि का हिस्सा राष्ट्र
कहा जाता है। जहा नदिया,पर्वत उस राष्ट्र की संपत्ति होते है फिर हर एक
राष्ट्र की सीमाए निर्धारित होती है उन सीमाओ की रक्षा करने लिए प्रहरी
होते है,जिन्हे हम सैनिक कहते है। हर सैनिक अपने राष्ट्र की मर्यादा
,संस्कृति और उसकी भौगोलिक मर्यादा,संस्कृति और उसकी भौगोलिक सीमा की ऱक्षा
करता है।
संविधान जागरण अभियान का उद्देश्य है की कई भारतवासी आज भी हमारे संविधान को नहीं जानते। घर में कार्य करने वाली महिला हो या ऑफिस में कार्य करने वाले व्यक्ति। बच्चे भी संविधान को नहीं जानते। हमारी शिक्षा में विकास हो रहा है ,परन्तु कई जानकारिया वह आज भी बच्चो को ठीक से बताने में असमर्थ है।हमारे संविधान में नीति नियम,कर्तव्य,धर्म,एकता सभी को विस्तार से लिखा है। आदर्श नागरिकता के गुण को लिखा है।जो नागरिक राष्ट्र के नागरिक राष्ट्र के संविधान के अनुसार चलता है, वह राष्ट्र का आदर्श नागरिको का निर्माण करना है।इसलिए हमारा संविधान जागरण सफल हो,ऐसा मै चाहता हूँ ।
आज आवश्यकता ही जनसंख्या को आदर्श नागरिकता मे परिवर्तित करने कि।यह कार्य मात्र राष्ट्र ग्रंथ हि कर सकता है ।विचारणीय तथ्य है कि हमारे राष्ट्र को एक प्रजातंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित हुए ६३ वर्ष हो चुके है,परंतु सही मायनो मे हमारा संविधान समाज की अंतिम पंक्ति तक नहीं पहुंच सका है। समाज में आदर्श नागरिक निर्माण करने की पहल से ही संविधान का सही अर्थ निरूपित होगा मानवीय मूल्यों की रक्षा करने,अश्त्र को सशक्त बनाने समता एवं बन्धुतत्व का आधार देने के लिए संविधान आवश्यक है। संविधान एक ऐसा ग्रन्थ है,जो राष्ट्र प्रकट करता है तथा कर्तव्य एवं अधिकारों की सही राह दिखता है,जिसके प्रकाश से राष्ट्र हजारो वर्षो तक जिवंत बना रहता है। इस राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक संविधान का अर्थ समझे और उसे आत्मसात करे यही हमारा मुख्या ध्येय हो।
श्री भय्यूजी महाराज
संविधान जागरण अभियान का उद्देश्य है की कई भारतवासी आज भी हमारे संविधान को नहीं जानते। घर में कार्य करने वाली महिला हो या ऑफिस में कार्य करने वाले व्यक्ति। बच्चे भी संविधान को नहीं जानते। हमारी शिक्षा में विकास हो रहा है ,परन्तु कई जानकारिया वह आज भी बच्चो को ठीक से बताने में असमर्थ है।हमारे संविधान में नीति नियम,कर्तव्य,धर्म,एकता सभी को विस्तार से लिखा है। आदर्श नागरिकता के गुण को लिखा है।जो नागरिक राष्ट्र के नागरिक राष्ट्र के संविधान के अनुसार चलता है, वह राष्ट्र का आदर्श नागरिको का निर्माण करना है।इसलिए हमारा संविधान जागरण सफल हो,ऐसा मै चाहता हूँ ।
आज आवश्यकता ही जनसंख्या को आदर्श नागरिकता मे परिवर्तित करने कि।यह कार्य मात्र राष्ट्र ग्रंथ हि कर सकता है ।विचारणीय तथ्य है कि हमारे राष्ट्र को एक प्रजातंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित हुए ६३ वर्ष हो चुके है,परंतु सही मायनो मे हमारा संविधान समाज की अंतिम पंक्ति तक नहीं पहुंच सका है। समाज में आदर्श नागरिक निर्माण करने की पहल से ही संविधान का सही अर्थ निरूपित होगा मानवीय मूल्यों की रक्षा करने,अश्त्र को सशक्त बनाने समता एवं बन्धुतत्व का आधार देने के लिए संविधान आवश्यक है। संविधान एक ऐसा ग्रन्थ है,जो राष्ट्र प्रकट करता है तथा कर्तव्य एवं अधिकारों की सही राह दिखता है,जिसके प्रकाश से राष्ट्र हजारो वर्षो तक जिवंत बना रहता है। इस राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक संविधान का अर्थ समझे और उसे आत्मसात करे यही हमारा मुख्या ध्येय हो।
श्री भय्यूजी महाराज
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