Tuesday, 6 December 2016

कार्य के पीछे का उदयेश समझे

एक महाराज थे जो रोज जंगल मैं जाकर साधना करते थे जंगल मैं जाते समए एक नदी पड़ती थी नदी के पास मैं एक स्मशान हुआ करता था तो एक दिन महाराज गए तो उन्होंने देखा तो एक स्त्री की अध् जली लाश वहा पड़ी है हिन्दू शास्त्र के अनुसार अगर कोई भी लाश को पूरा जला नहीं देते तो आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती और आत्मा भटकती है तो इसलिए उन्होंने देखा के लाश को कुछ कुत्ते नोच के खा रहे है और कुत्तो को वो भागने जाते तो कुत्ते उन पर आक्रमण कर रहे थे. तो वो दौड़े दौड़े आश्रम मैं आ गये वो पुरे पसीने पसीने में थे आकर अपने शिष्य को बोलते है तुरंत मुझे साडी, चोली, घगरा, घुंगरू दो, पुरे शृंगार का सामान दो दुल्हन को सजाना है, दारू की बोतल लाओ और मास के टुकड़े लेके आओ और मेरे पीछे कोई नहीं आएगा. सरे शिष्य सोचते है क्या हमारी किस्मत फुट गयी क्या गुरु बनाया है ये तो साला ऐसा है,दुषचरित्र है, बिलकुल पतित है, हाय हाय I जिस गुरु को उनके विचार को समाज तक पहोंचने के लिए ५० वर्षो की विनती करनी पड़ी, गुरूजी केरेक्टर्लेस है पुरे समाज मे ये बताने के लिए वो लोगो को ३० सेकंड से कम समाय लगा और पत्थर मरने की भी तैयारी हो गई I गुरूजी को कुछ फरक नहीं पड़ा गुरूजी ने सामान उठाया उन शिष्यों ने भी दे दिया वो बोले जा ले मर हमारे तो भाग फुट गए, हस रहे थे सब गुरूजी पर I उसमे एक दीप करके एक लड़का था वो बहोत होशियार था वो सोचने लगा गुरूजी को ये हमें बताने की जरुरत क्या पड़ी वो चाहते तो खुद भी कर सकते थे बिना बताय हमें सार्वजनिक रूप से आकर बताने की जरुरत क्या थी मैं गुरु के साईड मैं हु और वो जाता है गुरु के साथ मैं I दीप ने क्या देखा की गुरूजी वो लाश को कुत्तो के शिकंजे से छुड़ाने के लिए उन्होंने वो मास के टुकडे फेके तो सब कुत्ते फेके हुए मास के टुकड़े की तरफ आ गये और लाश को कटने से बचा लिया और अपनी बिटिया की तरह उसका शृंगार किया और शृंगार करके उसको पूर्ण अग्नि दी ओर वह जो दारु की बोतल थी वो उस पे डाल दिक्योंकि वह स्प्रिट का कम करति हे और कुछ परीक्षा भी लेनी थी शिष्यों की I सारे शिष्य भी उनके पीछे गुस्से में आते हे मरो मरो और जब वो वहा देखते है और गुरु की परिस्तिथि देखते है तो उनकी गर्दन शर्म से झुक जाती है. गुरूजी उनको देख के हँसते है उनको कुछ नहीं बोलते और जंगल की तरफ चले जाते है.
सारांस ऐसा है : जब तक आप को ज्ञात ना हो की जो व्यक्ति आप के साथ जुड़ा हुआ है वो जो कुछ भी कर रहा है उसके पीछे का उद्येश क्या है तब तक निष्कर्ष और निर्णय पर पहूँच कर उसके चरित्र पर या फिर उसकी प्रवत्ती पर या फिर उसकी इंसानियत को आप बदनाम मत करो क्या पता उसमें एक ऐसी मानवता की भावना छुपी हो जो आप को ज़िन्दगी भर आत्म ग्लानी से जलाती रहे I
डा. भय्यू महाराज

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