संवेदनाएं अंतर्मन को प्रदर्शित कर किसी भी शासक की शासन शैली को परिलक्षित करती है और यही अंतर्मन की संवेदनशीलता भावनाओं के स्वरुप में उत्सर्जित होकर कविताओं का सृजन करती है . आज २० फरवरी के दिन हमारे देश कि दो महान हस्तियों का स्मरण हो रहा है जिन्होंने अपनी संवेदनशीलता से सृजनात्मक और रचनात्मकता का निर्माण अपनी निष्ठ्कर्म शैली से किया है . मैं याद कर रहा हूँ देश के गौरवशाली पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी को और अपने ही प्रदेश मध्यप्रदेश की सौंधी माटी से उपजे और कालांतर में अपनी काव्य शैली से प्रतिष्ठित हुए महान कवि भवानी दादा मिश्र जी को . भवानी दादा की आज पुण्यतिथि है. जबकि अटल बिहारी वाजपेयी जी को इसलिए याद कर रहे है की वे संकल्पित भाव से आज ही अमृतसर से नेक इरादों की बस सरहद पार लाहौर ले गए थे .
वास्तव में........ " मन बुध्दि को कवितायें
संवेदनशील बनायें,
बनाकर चले चलते चले ,
प्रगतिपथ पर ऐसे चले ,
जैसे जीवन नव ज्योत जलें ,
यही भाव रखे जो कवि कहलाये,
प्रखर भाव सातों रूप ,
तब कविता बन जाएँ "
भवानी दादा अपनी बोली के कवि थे लेकिन विचार धारा से गांघी वादी थे , और अटल बिहारी वाजपयी जी सिध्दांतों से राष्ट्रवादी हैं और मन की अंतर् संवेदनाओं से भरपूर कवि हैं . संवेदनशीलता के इस अंतर्मन के कवि ह्रदय की भावनाएं जब जागृत होती है तो यह उनके राजकाज में भी दिखाई देती है और तब देश का प्रधान संवेदानाओं की बस भरकर सरहद लाँघ जाते हैं इस संकल्पित भाव से कि आओ तुम भी आगे आओ कुछ हम समझे कुछ तुम समझों . लेकिन जहाँ संवेदनाएं नहीं होती उस सरहद पर गिद्धों को निमंत्रण देने के लिए कारगिल हो जाता है तब नेक इरादों की बस को पंचर कर बुरे इरादे के लोग बदले में हमें कारगिल देते हैं . भारत और पाकिस्तान के मध्य यही संवेदनाओं का अंतर् है . अटलजी ने अपने नेक इरादों को कायम रख राष्ट्रभाव से फिर संवेदनाओं की रक्षा करते हुए हमारे सैन्य बल के साथ, अटल इरादों से कारगिल को विजय दिवस में परिवर्तित किया . यह महानता हमारे देश के कवि , शासक और बौध्दिक् वर्ग में है जो कहीं और एक साथ नहीं देखने को मिलती .
दरअसल जब इरादे अटल हों तब जय भवानी होना ही है . कल ही हमने जय भवानी के उद्घोष से राष्ट्रवादी छत्रपति शिवाजी का स्मरण किया आज अटल बिहारी वाजपेयी जी की राष्ट्रवादी संवेदनाओं को स्मरण करते हुए आदरणीय कवि भवानी दादा मिश्र के गांधीवादी मूल्यों में सृजित अटल इरादों की कविताओं का भी स्मरण करते हुए उन्हें नमन करते हैं .और यह याद करते हैं कि एक भुजा आज़ाद हुई , एक पंख फडफडाया ,और आज ही मिजोरम , अरुणांचल प्रदेश केंद्र शासित से अपने अस्तित्व में आया . यही है अटल इरादों से जय भवानी !
डॉ भय्यू महाराज
अति सुन्दर
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