मानवाधिकार मनुष्य के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं, जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए, अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है। हमारे देश में व्यक्तिगत जीवन के लिए मानवाधिकार की महत्ता को समझते हुए भारत सरकार द्वारा 12 अक्टूबर, 1993 में मानवाधिकार आयोग नामक एक स्वायत्त संस्था का गठन मनुष्य को उपलब्ध मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए किया गया। परन्तु दुर्भाग्यवश हमारे देश में इन संस्थाओं के बावजूद, मानव अधिकारों के हनन की अनगिनत घटनाएँ देखने को मिलती हैं। आजके इस महत्वपूर्ण अवसर पर, आइये हम सब मानव आधिकारों को अक्षुण रखने का संकल्प लें जिससे कि देश का हर व्यक्ति प्रदत्त मानवीय अधिकारों से वंचित ना रह पाये।
Wednesday, 10 December 2014
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मानवाधिकार मनुष्य के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं, जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए, अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है। हमारे देश में व्यक्तिगत जीवन के लिए मानवाधिकार की महत्ता को समझते हुए भारत सरकार द्वारा 12 अक्टूबर, 1993 में मानवाधिकार आयोग नामक एक स्वायत्त संस्था का गठन मनुष्य को उपलब्ध मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए किया गया। परन्तु दुर्भाग्यवश हमारे देश में इन संस्थाओं के बावजूद, मानव अधिकारों के हनन की अनगिनत घटनाएँ देखने को मिलती हैं। आजके इस महत्वपूर्ण अवसर पर, आइये हम सब मानव आधिकारों को अक्षुण रखने का संकल्प लें जिससे कि देश का हर व्यक्ति प्रदत्त मानवीय अधिकारों से वंचित ना रह पाये।
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