अंग्रेजी वर्ष 2014 समाप्ति की ओर अग्रसर है। महज कुछ दिनों में हम नए साल में प्रवेश कर जाएंगे। इस गुजरते साल की बहुत सी खट्टी मीठी यादें हमारे साथ रहेंगी पर अच्छा होगा यदि हम वर्तमान साल के अपने कटु अनुभवों, नैराश्य एवं दुःख के क्षणों को त्याग कर, नव वर्ष में नई ऊर्जा एवं नए संकल्प के साथ प्रवेश करें। इस वर्ष हमारे देश में बहुत कुछ ऐसा हुआ जो दुखद दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि हमारे देश के सुदूर उत्तरीय राज्य जम्मू काश्मीर में इस दशक की भीषणतम बाढ़ ने तबाही मचाई, तो दूसरी तरफ देश के पूर्वी राज्य आसाम में बोडो आतंकवादियों द्वारा किये गए नरसंहार में 80 से अधिक लोगों को अपने जाने गँवानी पड़ी।
हाँ इस वर्ष हमारे देश के राजनितिक परिदृश्य ने एक बड़ा सकारात्मक बदलाव देखा। भ्रष्ट राजनिति तंत्र से नाउम्मीद हो चुके हमारे देश के युवाओं ने नए एवं एवं सशक्त सरकार का निर्वाचन कर यह इंगित कर दिया है कि उनकी शक्ति को कोई अनदेखा नहीं कर सकता। उम्मीद की जानी चाहिए कि हमारे देश की नव निर्वाचित सरकार आने वाले सालों देश के करोड़ों लोगो की आकांक्षाओं पर खड़ा उतरेगी।
पर देश को विकास के राह पर लाना, अपराध, भय एवं आतंकवाद मुक्त करना सिर्फ सरकार की जिम्मेवारी नहीं होनी चाहिए। देश तभी बदलेगा जब हम सब बदलेंगे। देश एवं समाज को भय, अपराध मुक्त करने के लिए हमें अपने स्वयं के आचरण, चरित्र में सकारात्मक बदलाव लाना होगा, अपने अंदर के बुराइयों को मिटाना होगा और अपने अंदर छुपे `रावण' को नष्ट करना होगा।
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