Monday, 14 July 2014

सकारात्मक सोमवार प्रेरक कथा

 संकट से मुकाबला
एक छोटे से गाव मे तीन मित्र रहते थे| पहले दोस्त का नाम धर्मवीर था और दुसरे का कर्मवीर तीसरे का महावीर था | तीनो दोस्त बहुत अच्छे समझदार, मेहनती और बलवान थे | वो तीनो ही गरीबी और बेरोजगारी से परेशान थे | एक दिन उन्होंने सोचा कि क्यों नहीं हम कही और जाकर के मेहनत करके अपना भाग्य आजमाए |
ऐसा सोचकर तीनो अपने गाव से रवाना हो गए, चलते चलते रात का अँधेरा घिर गया तो उन्होंने एक बड़े वृक्ष के निचे रात बिताने का फैसला किया और ये तय किया कि हम तीनो मेसे कोई एक जागेगा और दो जाने सो जायेगे फिर एक जाना उठेगा और पहले वाला सो जायेगा फिर तीसरा उठेगा और दूसरा सो जायेगा ऐसा विचार करके कर्मवीर और महावीर सो गए | रात के पहले पहर मे अन्धकार घना था इसलिए दोनों को सोते ही गहरी नींद आ गयी और धर्मवीर सावधान कि मुद्रा मे जंगली खतरों को भाप कर पहरेदारी करने लगा इतने मे ही उस वृक्ष के ऊपरसे एक व्यंतरदेव प्रगट हुवा और धर्मवीर को कहने लगा कि मै बहुत भूखा हु और तुम्हारे दोनों दोस्तों को खाना चाहता हु मगर तुम चाहो तो यहाँ से अपनी जान बचाकर जा सकते हो | इतना सुनते ही धर्मवीर को बहुत गुस्सा आया और उसने उस व्यंतर देव को लड़ने के लिए ललकारा और फिर दोनों के बिच काफी घमासान युद्ध होने लगा जेसे जेसे धर्मवीर को गुस्सा आता गया वेसे व्यंतरदेव का आकर बढ़ता गया और काफी देर बाद धर्मवीर कमजोर पड़ने लगा क्युकी व्यंतरदेव ने उसको उठा उठाकर पटकना शुरू कर दिया था इसी तरह सेएक पहर बीत गया तो वो व्यंतरदेव अचानक गायब हो गया इधर धर्मवीर घायल होकर बेसुध हो गया था | थोड़ी ही देर मे कर्मवीर उठ गया उसने देखा कि धर्मवीर सोया हुवा है और उसकी हालत बहुत ख़राब है तो उसने सोचा किजब ये उठेगा तो मे पूछ लूँगा |
कुछ देर के बाद फिरवो व्यंतरदेव प्रगट हुवा और उसने कर्मवीर को भी वो ही बात कही तो कर्मवीर को भी बहुत गुस्सा आया और उसने व्यंतरदेव को ललकारा कि मेरे से लड़ो तो व्यंतरदेव ने कहा कि पहले अपने मित्र कि हालत देख ले मेने इसको भी येही बात कही थी मगर इसने भी तुम्हारी तरह ही मेरे को मुकाबले के लिए ललकारा था तो मेने इसको उठा उठा कर पटका और ये हालत करदी है, इतना सुनते ही कर्मवीर को सब बात समझ आगई और बहुत गुस्सा आया और वो उस व्यंतरदेव से भीड़ गया बड़ा भारी द्वंध युद्ध हुवा जितना गुस्सा कर्मवीर को आता उस व्यंतरदेव का शारीर उतना ही बढ़ता रहता था और कर्मवीर कि शक्ति भी कम हो जाती थी | युद्ध होते होते एक पहर बीत गया इस बिच व्यंतरदेव ने कर्मवीर को भी खूब पटक पटक कर मार मारी और जेसे ही पहर ख़त्म हुवा वो गायब हो गया और कर्मवीर भी आधा मूर्छा और थकन से बेहोश हो गया |
अब तीसरा दोस्त जागा जिसका नाम महावीर था उसने देखा कि दोनों दोस्त सो रहे है मगर उनकी हालत ख़राब थी उसने कर्मवीर को कुछ पूछना चाहा मगर वो बेहोश होने के कारन कुछ खास नहीं बता सका | इतनी ही देर मे फिर वो व्यंतरदेव प्रगट हुवा और उसने भी वोही बात महावीर को कही तो महावीर सारी कहानी तुरंत समझ गया और हंस कर उस व्यंतरदेव को कहने लगा कि हा भाईतुम ठीक कहते हो मुझे तो अपनी ही जान बचानी है मगर सारी रात खूब सोया हु और चलते चलते कलसे बदन मे भी दर्द हो रहा है इसलिए पहले मे कुस्ती करूँगा तुम्हारे साथ और फिर चला जाऊंगा | इतना सुनते ही उस व्यंतरदेव को खूब गुस्सा आया और जब उसको गुस्सा आया तो उसका कद आधा हो गया ये देखकर महावीर ने हँसते हुए उसको और गुस्सा दिलाया अब हालत उल्टा था जेसे जेसे महावीर हँसता और उस व्यंतरदेव को गुस्सा दिलाता वो कद मे घटता जाता थाऔर आक्रमण भी कर रहा था मगर महावीर चतुराई से उसका बचाव कर लेता था अंत मे एक समय ऐसा आया जब उस व्यंतरदेव का कद जमीं पर रेंगने वाले कीड़े के जितना ही रह गया तोमहावीर ने उसको उठाया और अपनी धोती के एक कोने मेबाँध लिया | सवेरे जब दोनों दोस्तों को होंस आया और वो जागे तो उन्होंने महावीर को रात कि सारी घटना कह सुनाई कि हमारे साथ क्या हुवा था | तब महावीर ने कहा कि मेरे साथ भी ये ही हुवा मगर मै समझगया कि ये तो कोई मुसीबत है और मेने इस मुसीबत का सामना हँसते हँसते किया तो धीरे धीरे मुसीबत कम होती गयी और अंतमे मेने इस पर काबूपा लिया और महावीर ने अपनी धोती मे सेगाँठ खोलकर उस व्यंतरदेव को अपने मित्रो को बताया कि क्या ये ही है | तो उनके मित्रो ने कहा कि हा ये है मगर बताओ कि इसको केसे काबू किया तो महावीर ने कहा कि मे समझ गया था कि मुसीबत आ गयीहै अब धेर्य से ही इसका सामना किया जा सकता है और मेनेइसको काबुकर लिया और पूरी कहानी बता दी | और कहा कि क्रोध हमरा शत्रु है और संकट के समय यदि हम अपने पर काबू नहीं रख सकते तो फिर संकट और बढ़ता जायेगा और हमारी शक्ति क्षीण होती जाएगी|
प्रेरणा :-
इस कहानी से हमें ये ही प्रेरणा मिलती है कि हमको संकट के समय भी अपना धेर्य नहीं खोना चाहिए बल्कि शांति के साथ और धेर्य के साथ मुकाबला करेगे तो सभी प्रकार के संकट से हम पार पा सकते है और विजय हो सकते है

0 comments:

Post a Comment

Total Pageviews