मच्छर से हो रही मौतों को रोकने के लिए और अधिक प्रयास की आवश्यकता
विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने 1955 में घोषणा की थी कि मलेरिया पर मनुष्य की विजय का
समय आ गया है और जल्दी ही यह रोग नेस्तनाबूद हो जाएगा। मगर, मलेरिया ने
पलट कर हमला किया और आज यह दुनिया भर में हर साल करीब 22-50 करोड़ लोगों पर
हमला करके 7-8 लाख लोगों की जान ले रहा है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष
(यूनिसेफ) ने विश्व मलेरिया दिवस पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार
हर साल लगभग 8.5 लाख लोग मच्छर की मार से मारे जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य
संगठन के अनुसार 2013 में विश्व भर में करीब 19 करोड़ 80 लाख लोग मलेरिया
से पीड़ित हुए और लगभग 5 लाख 84 हजार मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें
से 90 प्रतिशत लोग अफ्रीका के सहारा क्षेत्र में मलेरिया से मारे जाते
हैं।
विश्व की करीब सवा अरब आवादी को मलेरिया होने का खतरा है।
वर्ष 2014 में करीबन 97 देशों में मलेरिया का प्रभाव देखा गया। मलेरिया से
होने वाली मौतों में से कुल 80 प्रतिशत मौतें मलेरिया से सबसे अधिक
प्रभावित 18 देशों में हुई। प्रत्यक्ष तौर पर मलेरिया के कारण वैश्विक स्तर
पर प्रतिवर्ष 12 अरब अमेरिकी डॉलर की हानि होती है।
जहाँ भारत का
प्रश्न है, उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, हमारे देश में हर साल मलेरिया से करीब
20 लाख लोग प्रभावित होते हैं। जिनमें से प्रत्येक वर्ष एक हजार लोगों की
मौत मलेरिया के कारण हो जाती है। आंध्रपद्रेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश,
राजस्थान, छत्तीगढ़, गुजरात, झारखंड एवं उड़ीसा राज्य सर्वाधिक मलेरिया
प्रभावित राज्यों में शामिल हैं।
इस घातक रोग पर काबू पाने के लिए भारत
सरकार ने 1953 में ‘राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम’ लागू किया। यह
कार्यक्रम काफी सफल रहा और इससे मलेरिया के रोगियों की संख्या में काफी कमी
आई। इस कार्यक्रम की सफलता से उत्साहित होकर सरकार ने 1958 में ‘राष्ट्रीय
मलेरिया उन्मूलन’ कार्यक्रम शुरू किया। मलेरिया की रोकथाम के तमाम
प्रयासों के कारण रोगियों की संख्या काफी घट गई लेकिन 1990 के दशक में यह
रोग नई ताकत के साथ वापस लौट आया और इसका प्रमुख कारण है कीटनाशकों के लिए
मच्छरों की प्रतिरोधिता, खुले स्थानों में मच्छरों की बढ़ती तादाद, जल
परियोजनाओं, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, मलेरिया परजीवी के रूप बदलने और
क्लोरोक्विन तथा मलेरिया की अन्य दवाइयों के लिए प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम
की प्रतिरोधिता।
मलेरिया और इसकी विभीषिका के जागरूकता लाएंगे के लिए प्रति वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है।
यद्द्यपि
इस बीमारी की रोकथाम के लिए हमारे देश में मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम सतत
चलाए जा रहे हैं, मच्छर के कारण हो रही मौतों को रोकने के लिए अधिक
प्रयास होंगे। इसके आलावा गरीब एवं ग्रामीण लोगों वाले ऐसे
क्षेत्रों तक ज्यादा पहुँच बढ़ानी होगी जहाँ मलेरिया एक बड़े खतरे का रूप
ले चूका है।