Thursday, 2 April 2015

मानसिक रुग्ण लोगों के प्रति हम अपने आचरण में बदलाव लाएँ

ऑटिज़्म (Autism) या आत्मविमोह, स्वलीनता, एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है।स्वलीनता की इस बीमारी से
ग्रसित व्यक्ति बाहरी दुनिया से बेखबर अपने आप में ही लीन रहता है। सुनने के लिए कान स्वस्थ है, देखने के लिए ऑंखें ठीक हैं फिर भी वह अपने आस पास के वातावरण से अनजान एवं अनभिज्ञ रहता है।  आत्मविमोह व्यक्ति के मानसिक विकास संबंधी एक गंभीर विकार है, जिसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था (प्रथम तीन वर्षों में) में ही नज़र आने लगते है और व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। जिन बच्चो में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चों से असामान्य होता है, साथ ही इसकी वजह से उनके न्यूरोसिस्टम पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।









संयुक्त राष्ट्रसंघ के  रिपोर्ट के अनुसार विश्व में आत्मविमोह एवं स्वलीनता से पीड़ित 80 % वयस्क बेरोजगार हैं। भारत में इस बीमारी से  पीड़ित होने वाले व्यक्तियों, बच्चों की संख्या 10 लाख से अधिक है।  सामान्यतया देखा गया है कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति समाज  में भेदभाव के शिकार होते हैं। समाज में पसरे स्वलीनता की बीमारी से  ग्रसित लोगों के प्रति भेदभाव की भावना को ख़त्म करने के लिए प्रति वर्ष 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। आइये आज के दिन हम सब मिलकर संकल्प लें समाज से स्वलीनता से प्रभावित व्यक्तियों के प्रति अपने  दुर्व्यवहार, तिरस्कार, हीनता को भावना को ख़त्म करने का।     

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