Monday, 6 April 2015

बूँद बूँद से ही घड़ा भरता है


मित्रों हम सब दर्शवादी और अच्छे कार्य करने की बातें करते रहते है | जैसे बिजली बचाना, सड़क पर कचरा न फेंकना, शादी समारोह अथवा अन्य आयोजनों या अपने घर में भोजन को  बर्बाद न करना, यातायात के नियमों का पालन करना, किसी जरूरतमंद की मदद करना और बहुत कुछ | लेकिन हम में से ज्यादात्तर लोग ऐसी बातों का पालन नहीं करते | ऐसा क्यों होता है कि हम पढ़े लिखे लोग ही इन छोटी छोटी बातों का पालन नहीं करते?

एक तरफ हम में से  अधिक खाना बर्बाद करते हैं, जबकि दूसरी तरफ भारत में रोजाना, लाखों लोग भूखे सोते है|
एक तरफ हम बिजली का अपव्यय करते है जबकि भारत के हजारों गावों में अब भी बिजली नहीं है|
ऐसे पढ़े लिखे लोग भी आसानी से मिल जायेंगे जिनके पास इतना भी समय नहीं कि वे सड़क पर पड़े हुए घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दें |
ऐसा क्यों होता है कि हम पढ़े लिखे लोग भी इन बातों को नहीं समझते?

इसका मूल कारण है हमारा नकारात्मक सोच | हम में से ज्यादातर लोग यह सोचते है, मानते है और कहते है, कि केवल मेरे अकेले के द्वारा इन बातों का पालन कर लेने से क्या हो जायेगा? इससे क्या फर्क पड जायेगा?  फर्क पड़ेगा मित्रों।  आप स्वयं का पहल  तो करें, बाँकी लोग आपके सकारात्मक प्रयास से प्रेरित होकर स्वयं जुड़ने लगेंगे।  मित्रों  “बूँद बूँद से ही घड़ा भरता है”| इसलिए आपके प्रयासों से कुछ फर्क तो पड़ता ही है !


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