Friday, 15 May 2015

परिवार के रिश्ते की मिठास एवं गरिमा को बनाए रखें

     अनुव्रतः पितुः पुत्रो मात्रा भवतु संमनाः।
    जाया पत्ये मधुमतीं वाचं वदतु शन्तिवाम्‌॥

अर्थात पिता के प्रति पुत्र निष्ठावान हो। माता के साथ पुत्र एकमन वाला हो। पत्नी पति से मधुर तथा कोमल शब्द बोले।
परिवार कुछ लोगों के साथ रहने से नहीं बन जाता। इसमें रिश्तों की एक मज़बूत डोर होती है, सहयोग के अटूट बंधन होते हैं, एक-दूसरे की सुरक्षा के वादे और इरादे होते हैं। किसी भी समाज का केंद्र परिवार ही होता है। परिवार के अभाव में मानव समाज के संचालन की कल्पना भी दुष्कर है। व्यक्ति के जीवन को स्थिर बनाए रखने में उसका परिवार बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।



आज 15 मई को समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। दुर्भाग्यवश समय के साथ साथ हमारे समाज में पारिवारिक  मूल्यों का ह्रास हो  रहा है एवं परिवारें, उसमे रहने वाले सदस्यों की स्वयं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के चलते विघटित हो रही हैं।
वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो प्राय: यही देखा जाता है कि अपने काम को प्राथमिकता समझने वाले लोग परिवार के महत्व को पूरी तरह नजरअंदाज कर चुके हैं।

एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में वे ना तो अपने माता-पिता को समय दे पाते हैं और ना ही अपने वैवाहिक जीवन के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम होते हैं।  अति व्यस्त जीवनशैली के कारण वह अपने छोटे से परिवार के लिए भी समय नहीं निकाल पाते। समाज में पसरी लैंगिक  असमानता भी आज परिवारों के विघटन का कारण बन रहा है।  आज के   दिन को जब पुरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के  रूप में मनाया जा रहा है, हम सबका यह फ़र्ज़  होना चाहिए कि परिवार के रिश्ते की मिठास एवं गरिमा को बनाए रखें, लैंगिक असमानता एवं  बच्चों के अधिकारों के प्रति अपनी धारणा को बदलें ।

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