हमारी नर्सों को वो सम्मान मिले, जिनकी वो हकदार हैं
कभी आपने सोचा अस्पताल में सफेद पोशाक पहन कर हमेशा मुस्कुराते और तत्परता से मरीजों की देखभाल करने वाली नर्सों क्या वो अपने स्वयं के जीवन इतनी खुस एवं मुस्कुराती रहती हैं ! शायद नहीं। उस मुस्कुराते चेहरे के पीछे कई दर्द छिपे हैं, पर वो हमें इसका एहसास नहीं होने देती। हाँ, उन्हें इस बात का दुःख अवश्य होता है कि उनके अथक परिश्रम करने के बावजूद उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जिसकी वो हकदार हैं।
नर्सें अस्पताल का एक अभिन्न हिस्सा होती हैं । सेवा भाव से मरीज की देखभाल करने वाली नर्सें कभी शिकायत नहीं करतीं कि उन पर काम का दबाव अधिक है या उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। लेकिन सच यही है कि उन्हें इस तरह की कई प्रतिकूल स्थितियों का सामना पड़ता है।
सरकार द्वारा उठाये गये कई कदमों के कारण देश में प्रशिक्षित नर्सों की संख्या में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन हालात देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है पर देश में नर्सों की संख्या उस अनुपात में अपर्याप्त हैं। रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते प्रशिक्षित नर्सों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही उनके वेतनमान और सुविधाओं में भी वृद्धि की जानी चाहिए।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अच्छे वेतनमान और सुविधाओं के लालच में आज भी विकासशील देशों से बड़ी संख्या में नर्सें विकसित देशों में नौकरी के लिए जाती है जिससे विकासशील देशों को प्रशिक्षित नर्सों की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में अमीर और गरीब दोनों प्रकार के देशों में नर्सो की कमी चल रही है। विकसित देश अपने यहाँ की नर्सो की कमी को अन्य देशों से बुलाकर पूरा कर लेते है और उनको वहाँ पर अच्छा वेतन और सुविधाएँ देते है जिनके कारण वे विकसित देशों में जाने में देरी नहीं करती है। दूसरी ओर विकासशील देशों में नर्सो को अधिक वेतन और सुविधाओं की कमी रहती है और आगे का भविष्य भी अधिक उज्जवल नहीं दिखाई देता जिसके कारण वे विकसित देशों के बुलावे पर नौकरी के लिए चली जाती है। आज आवश्यकता है हमारी नर्सों को वो हर लाभ, सुविधाएँ देने की जिनकी वो हकदार हैं, अन्यथा हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाएं ही नहीं मरीजों की चिकित्सा भी प्रभावित होगी।
कभी आपने सोचा अस्पताल में सफेद पोशाक पहन कर हमेशा मुस्कुराते और तत्परता से मरीजों की देखभाल करने वाली नर्सों क्या वो अपने स्वयं के जीवन इतनी खुस एवं मुस्कुराती रहती हैं ! शायद नहीं। उस मुस्कुराते चेहरे के पीछे कई दर्द छिपे हैं, पर वो हमें इसका एहसास नहीं होने देती। हाँ, उन्हें इस बात का दुःख अवश्य होता है कि उनके अथक परिश्रम करने के बावजूद उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जिसकी वो हकदार हैं।
नर्सें अस्पताल का एक अभिन्न हिस्सा होती हैं । सेवा भाव से मरीज की देखभाल करने वाली नर्सें कभी शिकायत नहीं करतीं कि उन पर काम का दबाव अधिक है या उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। लेकिन सच यही है कि उन्हें इस तरह की कई प्रतिकूल स्थितियों का सामना पड़ता है।
सरकार द्वारा उठाये गये कई कदमों के कारण देश में प्रशिक्षित नर्सों की संख्या में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन हालात देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है पर देश में नर्सों की संख्या उस अनुपात में अपर्याप्त हैं। रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते प्रशिक्षित नर्सों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही उनके वेतनमान और सुविधाओं में भी वृद्धि की जानी चाहिए।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अच्छे वेतनमान और सुविधाओं के लालच में आज भी विकासशील देशों से बड़ी संख्या में नर्सें विकसित देशों में नौकरी के लिए जाती है जिससे विकासशील देशों को प्रशिक्षित नर्सों की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में अमीर और गरीब दोनों प्रकार के देशों में नर्सो की कमी चल रही है। विकसित देश अपने यहाँ की नर्सो की कमी को अन्य देशों से बुलाकर पूरा कर लेते है और उनको वहाँ पर अच्छा वेतन और सुविधाएँ देते है जिनके कारण वे विकसित देशों में जाने में देरी नहीं करती है। दूसरी ओर विकासशील देशों में नर्सो को अधिक वेतन और सुविधाओं की कमी रहती है और आगे का भविष्य भी अधिक उज्जवल नहीं दिखाई देता जिसके कारण वे विकसित देशों के बुलावे पर नौकरी के लिए चली जाती है। आज आवश्यकता है हमारी नर्सों को वो हर लाभ, सुविधाएँ देने की जिनकी वो हकदार हैं, अन्यथा हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाएं ही नहीं मरीजों की चिकित्सा भी प्रभावित होगी।
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