Friday, 22 May 2015

मानव जीवन के पोषण के लिए जैविक विविधताओं का संरक्षण आवश्यक


उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हमने पिछले 40 सालों में प्रकृति के एक-तिहाई दोस्त खो दिए हैं। एशियाई बाघों की संख्या में 70 फीसदी गिरावट आई है। मीठे पानी पर रहने वाले पशु व पक्षी भी 70 फीसदी तक घटे हैं। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कई प्रजातियों की संख्या 60 फीसदी तक घट गई है। यह आंकड़ों की दुनिया है। हकीक़त इससे भी बुरी हो सकती है। जिस तरह से पुरे विश्व में जैविक प्रजातियों का क्षरण हुआ है उससे पूरी मानव सभ्यता का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।
जैवविविधता का संरक्षण और उसका निरंतर उपयोग करना भारत के लोकाचार का एक अंतरंग हिस्सा है। अभूतपूर्व भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं ने मिलकर जीव जंतुओं की इस अद्भुत विविधता में योगदान दिया है जिससे हर स्तर पर अपार जैविक विविधता देखने को मिलती है। भारत में दुनिया का केवल 2.4 प्रतिशत भू-भाग है जिसके 7 से 8 प्रतिशत भू-भाग पर विश्व की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। प्रजातियों की संवृधि के मामले में भारत स्तनधारियों में 7वें, पक्षियों में 9वें और सरीसृप में 5वें स्थान पर है। विश्व के 11 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 44 प्रतिशत भू-भाग पर फसलें बोई जाती हैं। भारत के 23.39 प्रतिशत भू-भाग पर पेड़ और जंगल फैले हुए हैं।





पर्यावरण के अहम मुद्दों में से आज जैवविविधता का संरक्षण एक अहम मुद्दा है।  राष्ट्रों, सरकारी एजेंसियों और संगठनों तथा व्यक्तिगत स्तर पर जैविक विविधता के संवंर्धन और उसके संरक्षण की बड़ी चुनौती है।  उपरोक्त कथनों के मद्देनज़र जैविक विविधताओं को अक्षुण रखना अत्यावश्यक है क्योंकि
जैव विविधता फसलों से भोजन,  पशुओं, वानिकी और मछली प्रदान करता है। जैव विविधता उन्नत किस्में प्रजनन के लिए एक स्रोत सामग्री के रूप में और नए जैव निम्नीकरण कीटनाशकों के एक स्रोत के रूप में,  नई फसलों के एक स्रोत के रूप में आधुनिक कृषि के लिए उपयोग में आती है। जैव विविधता चिकित्सीय गुणों के साथ पदार्थों की एक समृद्ध स्रोत है। कई महत्वपूर्ण औषधि संयंत्र आधारित पदार्थों के रूप में में उत्पन्न होते हैं जिनकी उपयोगिता मानव स्वास्थ्य के लिए अमूल्य है।

आज विश्व जैविक विविधता दिवस पर हम सब हमारे देश में पसरी जैविक विविधताओं  के पोषण हेतु सामूहिक संकल्प लें क्योंकि इसके अभाव में मानव जीवन की कल्पना करना दुष्कर है।

0 comments:

Post a Comment

Total Pageviews