Saturday, 2 May 2015

जिन्दगी में बड़े अवसर अक्सर छोटे इशारो में छिप कर आते हैं

लखनऊ में छोटी उम्र में ही माता-पिता को खोने वाली पंकज भदौरिया ने भविष्य संवारने के लिए स्नातक पूरा होते ही सीएमएस अलीगंज शाखा में अंग्रेजी शिक्षिका की नौकरी कर ली, उन्हें हमेशा से तरह-तरह के व्यंजन पकाने का शौक था पर एक टेलीविजन शो ने उनके जिंदगी को बदलने की राह दिखाई और एक इशारा दिया उस शौक को अपना कैरियर बनाने का जिसको वो हमेशा चाहती थी पर हो न सका .

उन्होंने इस शो के लिए अपने स्कुल से छुट्टी भी मांगी पर उन्हें छुटी नहीं दी गयी और अपने सपनो को पूरा करने के खातिर उन्होंने सोलह साल पुरानी नौकरी को छोड़ दिया . ये कौन सोच सकता है की एक साधारण शिक्षिका उस रियलिटी शो में भाग लेने के लिए छुट्टी मांग रही थी जिस टेलीविजन शो का नाम “ मास्टरशेफ इंडिया” था और 25 दिसम्बर 2010 को इंडिया को पहला मास्टरशेफ मिला जिसका नाम “ पंकज भदौरिया “ था जो एक स्कुल टीचर थी .

जिन्दगी में बड़े अवसर तो अक्सर छोटे इशारो में ही छिप कर आते है. हिंदुस्तान की पहली मास्टर शेफ इंडिया का खिताब हासिल करने वाली लखनवी पंकज भदौरिया ने उस बात को साबित कर दिया कि अपने दिल की सुनो दिमाग की नहीं. पंकज के इस शौक और जूनून ने उनके काबिलियत को साबित करवाया और उनको देश ही नहीं विदेशो तक एक बहुचर्चित शेफ बना दिया .इस शो ने उन्हें एक करोड़ रूपये दिए साथ ही एक कुकरी शो के प्रसारण और बुक के कॉन्ट्रैक्ट के अधिकार भी .

एक मल्टीनेशनल कम्पनी एमवे इंडिया ने उन्हें अपने सबसे बढ़िया प्रोडक्ट ‘न्यूट्रीलाइट’ का ब्रांड अम्बेसडर बनाया है ,आज पंकज एक ब्रांड के रूप में स्थापित हो चुकी है और यह सब घटित केवल इसलिए हो सका कि पंकज ने उस अवसर के छोटे से इशारे को पहचान लिया था.
कहने का तात्पर्य यह कि  जीवन में अक्सर ऐसे मौके आ ही जाते है जहाँ हमे कुछ दुविधाओ और आशंकाओ के बीच चुनाव करना पड़ता है ऐसे मौको पर केवल दिल की सुनिए और आगे बढिये।

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