Sunday, 3 May 2015

देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए प्रेस की स्वतंत्रता आवश्यक


प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। प्रेस की आज़ादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ अपनी दुनिया से बाहर निकल कर आसपास घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानने का अधिक वक्त हमारे पास नहीं होता। ऐसे में प्रेस और मीडिया हमारे लिए एक समाचार वाहक का काम करती हैं। पर इन समाचारों को हम तक पहुँचाने के लिए  कई बार हमारे पत्रकार साथियों को अपनी जानों को जोखिम में डालनी पड़ती है। 
शासक और सत्तासीन सरकारों का हमेशा यह प्रयत्न रहता है कि वह सूचना के उसी पहलू को जनता के सामने लाएं जो उनके पक्ष में हो ताकि उनके शासन को कोई चुनौती ना दे पाए. ऐसे में प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा होना लाजमी है।

प्रेस की स्वतंत्रता एवं पत्राकारों के अभिव्यक्ति की  आज़ादी की को अक्षुण बनाए रखने के लिए पिछले 21 सालों से प्रतिवर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। परन्तु दुर्भाग्यवश इन इक्कीस वर्षों में कई देशों में प्रेस की स्वतंत्रता बहुत मुश्किल दौर से गुज़रती रही है। कई देशों में उन पत्रकारों के लिए असुरक्षा का माहौल बना हुआ है जो सच्ची बात लिखने के अपने अधिकार की रक्षा करना चाहते हैं एवं कईयों को तो अपने जान से हाथ तक धोनी पड़ी है।

आम जनमानस को आसपास घटित होने वाली गतिविधियों की तह तक पहुंचाना और घटनाओं के प्रत्येक पक्ष को ईमानदारी से प्रदर्शित करने के लिए प्रेस की स्वतंत्रता बेहद जरूरी है क्योंकि प्रेस की आजादी से ही देश में अभिव्यक्ति की आजादी  को सुदृढ़ एवं मज़बूत बना सकता है।

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